Saturday, December 22, 2018

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  • Sunday, November 4, 2018

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     दिपावली के शुभ अवसर पर रंगोली

    दिपावली के शुभ अवसर पर रंगोली
    दीवाली यानि दीयों क्री रोशनी और रंगोली के रंगो सै सजा त्यौहार । जी धनतेरस सै शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है । इस त्योहार को मनाने के लिए कई दिनों पहले से ही सभी लोग घर क्री सजाने औ र संवारने में लग जाते हैँ । जिसमें रंगोली बनाने का काम प्रमुखता से किया जाता है । क्योकि रंगोली के बिना दीवाली का त्यौहार अधूरा माना जाता है । 


    इसलिए आज हम आपको को कुछ ऐसै रंगोली डिजाइन्स बता रहे हैँ, जो बनाने में आसान होने के साथ ही बेहद आकर्षक ओर खूबसूरत लगते हैँ दीवाली पर किफायती दामों में है घर सजाना, तो ये खास स्टेप्स करें फॉलो 

    अगर आपको रंगोली बनानी नहीँ आती है, तो इसके लिए आप एक चॉक की मदद से डिजाइन बना लें, इससे आप आसानी से रंगोली बना पाएगीं । अब आप रंगोली में रंग भरने के लिए एक मेंहदी कार्न बनाएं या बाजार में मिलने वाले रंगों कीं शीशियों में एक छोटा सा छेद कर लें । इससे आपकी रंगोली का रंग बिखरेगा नहीं और दो रंग आपस में मिक्स होने का ख़तरा भी नहीं रहेगा ।
    अगर आप रंगों सै रंगोली बनाने में खुद को कंफर्टेबल महसूस नहीं करती हैँ, तो आप रंग बिरंगे फूलों सै भी खूबसूरत रंगोली बना सकती हैँ ये कम ही समय भी बन सकती है । इसके साथ ही रंगों से बनी रंगोली क्री आउटलाइन भी आप फूलों से बना सकती हैँ । रंगोली का ये मिक्स एंड मेच आइडिया सै एक नई तरह क्री रंगोली बना सकती हैँ ।


    यही नहीं आप रंगोली बनाने क्रे लिए स्पार्कल कलर और कलरफुल वीडस सितारों से भी रंगोली क्रो एक नया लुक दे सकते हैँ या रंगोली क्रो छोटे बडे कलरफुल दियों सै भी सजा सकती हैँ ।
    अगर आप रंगोली नहीं बना पा रही हैँ, तो आप बाजार में मौजूद रंगोली स्टेंसिल से रंगोली बना लें और उसके बीच में एक कांच का बडा सा बाउल रखें जो पानी और गुलाब की पत्तियों से भरा हुआ हो । आप चाहें तो इसमें फ्लोटिंग कैंडल्स या फ्लोटिंग दीये रखें । ये आपकी रंगोली के साथ आपके आंगन ओर ड्राइंग रूम को एक अलग लुक देगी ।


    कार्तिक मास की अमावस्या पर इस बार 7 नवंबर 201 8 क्री दिवाली का पर्व विश्वभर में धूम-धाम सै मनाया जाएगा। दिवाली पर रंगोली का महत्व बहुत अधिक होता है, दिवाली के दिन घर में
    रंगोली इसलिए बनाई जाती है ताकि मां लस्सी का घर में आगमन हो ।
    दिबाली के लिए जोरों शोरो सै तैयारियां चल रही हैं । दिबाली के दिन लोग घरों में रंगोली अवश्य बनाते हैँ । पर क्या आप जानते हैँ कि
    दिवाली पर रंगोली में माता लश्मी के पैर वयं बनाए जाते हैं..? आखिर रंगोली घरों में क्यों बनाई जाती है. .?
    तो आज हम आपकी बताएंगे कि आखिर दिबाली पर रंगीली किसलिए बनाईं जाती है। साथ ही माता लस्सी के पदचिन्हों का महत्व भी बताएंगे । रंगोली को त्यौहार, व्रत, पूजा, उत्सव, विवाह आदि शुभ अवसरों पर बनाया जाता है। रंगोली हमेशा लाल गेरू, चावल, आटा या सूखे और प्राकृतिक रंगों सै बनाई जाती है। रंगीली कुछ घरों में अब पेट सै भी बनाई जाती है ।

     दिवाली पर रंगोली का महत्व 


    रंगोली में लोग साधारण चित्र और आकृतियां बनाते है । या फिर देवी देवताओं की आकृतियां । रंगोली में स्वस्तिक, कमल का फूल, लश्मी जी के पदचिह्न भी बनाए जाते है । खासतौर पर दिवाली पर तो लश्मी जी के पैर अवश्य बनाए जाते हैं ।
    रंगोली के ये चिह्न समृद्धि और मंगलकामना का संकेत हैँ । दिवाली पर घरों में लस्सी पैर उकेरना शुभ माना जाता है । ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन मां लस्सी सबके घरों में विचरण करती हैं । इसलिए लश्मी के पैरों को घरों में माता के विचरण के तौर पर देखा जाता है ।
    इसीलिए घरों, देवालयों में हर दिन रंगोली बनाई जाती है । घर क्री महिलाएं बड़े प्रेम के साथ इस भावना से रंगोली बनाती हैँ कि यह भी ईश्वर की पूंजा है ।

    कहां सै शुरू हुई रंगोली 


    रंगोली शब्द संस्कृत के एक शब्द र'गावली' से लिया गया हे । इसे अल्पना भी कहा जाता है । भारत में इसे सिर्फ त्योहारों पर ही नहीं, बल्कि शुभ अवसरों, पूजा आदि पर भी बनाया जाता है । इससे जहां आने वाले मेहमानों का स्वागत होता है, वहीँ भगवान के प्रसम्न होने की कल्पना भी क्री जाती है ।
    रंगोली के बारे में एक प्राचीन कथा है । एक बार शंकर जी हिमालय दर्शन के लिए चल पडे । जाते समय पार्वती जी से कहा जब मैँ घर वापस लौर्टू तो मुझे घर और आंगन मन को प्रसत्न करने वाला मिलना चाहिए। अगर ऐसा ना हुआ तो में दुबारा हिमालय लौट जाऊंगा। यह सुन कर माता पार्वती चौंकी । उधर शंकर जी हिमालय क्री और चले गए।
    पार्बती जी ने घर में साफ सफाई क्री और उसे स्वच्छ सुंदर बनाने के लिए पूरा आंगन गोबर सै लीपा भी । घर अभी पूरी तरह से सूखा भी नहीं था कि शंकर भगवान के आने क्री सूचना उनके मास पहुंची । पार्वती जी फूल हाथ में लिए उनके स्वागत के लिए जल्दी जल्दी चलने के कारण वहीँ फिसल गईं और उनके महावर लगे पैरों की
    नहीं था कि शंकर भगवान के आने की सूचना उनके घास पहुंची । पार्वती जी फूल हाथ में लिए उनके स्वागत के लिए जल्दी जल्दी चलने के कारण वहीँ फिसल गईं और उनके महावर लगे पैरों की सुंदर आकृति क्री छाप वहां बन गई । लाल रंग के महावर पर गिरे फूलों ने वहां का दृश्य अद्भुत बना दिया ।
    तभी भगवान शंकर वहां आ पहुंचे और उसे देख कर मंत्रमुग्ध हो उठे । बडी प्रसन्नता से उन्होंने कहा कि जिन जिन घरों में

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    Tuesday, October 30, 2018

    Happy dipawali2018 #Dipavali sms hindi #dipawali #dipawali wishes sms hindi2018

    Happy Dipawali - || हैप्पी दिवाली ||

    ➢ मैं ShrawanBishnoi इस दीपावली के पावन पर्व पर आप का हार्दिक स्वागत करता हूँ।


    आप ओर आप के परिवार को दीपावली के पावन पर्व पर मेरी ओर से तह दिल से बधाई व हार्दिक शुभकामनाऐ ।

    Happy Dipawali 

    गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है,
    सितारों से गगन से सालाम भेजा है,
    मुबारक हो आपको ये दिवाली,
    हमने तहे दिल से ये पैगाम भेजा है..
    || हैप्पी दिवाली ||



    Happy Dipawali 

     दुनिया भर कि याद मैं हमें न भुला देना …
    आये जब याद हमारी थोडा सा मुस्करा देना …
    ज़रूर मिलेगें हम अगर ज़िंदा रहें..
    याद मैं हमारी दीवाली का एक “दिया”  जला देना
    ” दीवाली कि हार्दिक शुभ कामनाएं “




    Happy Dipawali 

     दीप जलते जगमगाते रहें
    हम आपको आप हमे याद आते रहें
    जब तक जिंदगी है, दुआ है हमारी
    आप यूँही दिये की तरह जगमगाते रहें||
    || आपको दीपावली की शुभकामनाएँ ||



     दियो की रौशनी से झिलमिलाता आंगन हो,
    पटाको की गूंज से आसमान रोशन हो,
    ऐसी आयी झूम के यह दिवाली
    हर तरफ खुशियों का मोसम हो..।
     मुस्कुराते हस्ते दीप तुम जलाना,
    जीवन में नई खुशियाँ लाना,
    दुःख दर्द अपने भूल कर
    अपने सभी दोस्तों को अपने गले लगाना,
    || हैप्पी दीपावली ||


    Happy Dipawali 

     झिलमिलाते दीपों की
    रोशनी से प्रकाशित
    ये दीपावली आपके
    घर में
    सुख समृद्धि और
    आशीर्वाद ले कर आए
    शुभ दीपावली!

    Happy Dipawali 

     ये दिवाली आपके जीवन
    में खुशियों की बरसात
    लाए,
    धन और शौहरत की
    बौछार करे,
    दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं!


    Happy Dipawali 

    दीपक का प्रकाश हर
    पल आपके जीवन में
    नई रोशनी लाए,
    बस यही शुभकामना
    है आपके लिए इस
    दीपावली में।
    शुभ दीपावली!


    Happy Dipawali 

    दीपावली आए तो
    रंगी रंगोली,
    दीप जलाए, धूम
    धड़ाका,
    छोड़ा पटाखा, जली
    फुलझडि़यां
    सबको भाए..
    आप सबको दीपावली की शुभकामनाएं!



    Happy Dipawali 

     दीपावली में दीपों
    का दीदार हो,
    और खुशियों की
    बौछार हो।
    शुभ दीपावली!
     इस दिवाली में यही
    कामना है कि
    सफलता आपके कदम चूमे
    और खुशी आपके आसपास हो।
    माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे।

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    Saturday, September 15, 2018

    jambheshwar-History-गुरु जमभेशवर भगवान !@#history of bishnoi in hindi

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    गुरु जमभेशवर भगवान 



     जाम्भोजी का जन्म  1451ई. में जोधपुर राज्य के अन्तर्गत नागौर के पीपासर गाँव में पंवार वंशीय परिवार मैं हुआ था। हनके पिता का नाम लोहटजी व माता का नाम हांसादेबी आ । ये बचपन में बहुत मननशील थे कमी आश्चर्यचकित करने वाली बातें व क्रियाकलाप करते थे इससे उन्हें जाम्भो कहा जाने लगा || बचपन में ये गाय चराने का कार्यं किया करते थे । गायें चराते समय ही इन्हे ईश्वर का साक्षात्कार हुआ। जाम्पोजी उस कालखण्ड की समाज मेँ व्याप्त साम्प्रदायिक संकीर्णता, कुप्रथाओ एवं कुरीतियों से चिन्तित थे तथा समाज को इनसे मुक्त कराना चाहते ये। जाम्पोजी आजीवन ब्रह्मचारी रहे तथा माता पिता की मृत्यु वो बाद सम्पूर्ण सम्पति का त्याग का समराथल धोरे रहने लगे तथा यहीँ पर उन्होने बिश्लोइं पथ की स्थापना की । इस पंथ कं 29 नियम है पीस ओदृ नी इस कारण हन्हें विश्लोई कहा जाता है ।

     जाम्भोजी ने अपने नियमों ने हरे पेड नहीं काटना जीव हत्या नहीं काना, मांस का सेवन नहीं करना आदि को सश्मितित का यह सिद्ध किया हि मानय मात्र का कल्याण प्रकृति के संरक्षण ने निहित है । की प्रेरणा से ही बीकानेर नरेश ३ ने अपने ध्वज ने खेजड़े के वृक्ष को थिएन दो रूप पे सम्मिलित किया। उनकं प्रति शासक ए। प्रजा दोनों ने अगाध श्रद्धा थी ।

     जाम्भोजी को उनच्छे अनुयायी ईश्वर के रूप ने मानते है

     जाम्भोजी ने विष्णु नाम स्मरण पर जोर दिया तथा  बताया क्रि सर्वश्रेष्ठ धर्म मानय धर्म है । समराथत जो बिश्नोई  सम्प्रदाय का प्रमुख स्तान है ,इसे धोक धोरे के नाम से भी जाना जाता है । जाम्योजी की शिक्षाएं उनकी बाणी ५ सकलित है शब्दबानी समय कहा जाता है । विश्नोई पथ के लोग इसे जम्भ गीता कहते है । यह राजस्थानी भाषा का अनुपम ग्रंथ है । 1536 में जाम्भोजी ने अपने नश्वर शरीर को त्यागा । उनकी समाधि यहीं पर मनी हुई है जिस पर दूर दूर से श्रद्धालु आकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते है ||

    जमभेशवर भगवान की शिक्षा 

     जाम्भोजी ने अपने जीवनकाल में अनेक वचन कहे किन्तु अब 120 शब्द ही प्रचलन में हैं जो वर्तमान में शब्दवाणी के नाम से जाने जाते हैं। गुरु जम्भेश्वरजी द्वारा स्थापित पंथ में 29 नियम प्रचलित हैं जो धर्म, नैतिकता, पर्यावरण और मानवीय मूल्यों से संबंधित हैं।

    विश्नोई समाज के 29 नियम 



    इस सम्बन्ध में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है, जो इस प्रकार है- उन्नतीस धर्म की आखडी हिरदे धरियो जोय, जम्भोजी कृपा करी नाम विश्नोई होय। १- प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना २- ३० दिन जनन – सूतक मानना, ३- ५ दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना, ४- शील का पालन करना, ५- संतोष का धारण करना, ६- बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना, ७- तीन समय संध्या उपासना करना, ८- संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना, ९- निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना, १०- पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना, ११- वाणी का संयम करना, दया एवं क्षमा को धारण करना, १२- चोरी, निंदा, झूठ तथा वाद–विवाद का त्याग करना, १३- अमावश्या के दिन व्रत करना, १४-विष्णु का भजन करना, १५- जीवों के प्रति दया का भाव रखना, १६- हरा वृक्ष नहीं कटवाना, १७- काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना, १८- रसोई अपने हाध से बनाना, १९- परोपकारी पशुओं की रक्षा करना, २०- अमल, तम्बाकू, भांग, मद्य तथा नील का त्याग करना, २१- बैल को बधिया नहीं करवाना
     जाम्भोजी ने अपने जीवनकाल में अनेक वचन कहे किन्तु अब 120 शब्द ही प्रचलन में हैं जो वर्तमान में शब्दवाणी के नाम से जाने जाते हैं। गुरु जम्भेश्वरजी द्वारा स्थापित पंथ में 29 नियम प्रचलित हैं जो धर्म, नैतिकता, पर्यावरण और मानवीय मूल्यों से संबंधित हैं।
    : इस सम्बन्ध में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है, जो इस प्रकार है- उन्नतीस धर्म की आखडी हिरदे धरियो जोय, जम्भोजी कृपा करी नाम विश्नोई होय। १- प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना २- ३० दिन जनन – सूतक मानना, ३- ५ दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना, ४- शील का पालन करना, ५- संतोष का धारण करना, ६- बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना, ७- तीन समय संध्या उपासना करना, ८- संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना, ९- निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना, १०- पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना, ११- वाणी का संयम करना, दया एवं क्षमा को धारण करना, १२- चोरी, निंदा, झूठ तथा वाद–विवाद का त्याग करना, १३- अमावश्या के दिन व्रत करना, १४-विष्णु का भजन करना, १५- जीवों के प्रति दया का भाव रखना, १६- हरा वृक्ष नहीं कटवाना, १७- काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना, १८- रसोई अपने हाध से बनाना, १९- परोपकारी पशुओं की रक्षा करना, २०- अमल, तम्बाकू, भांग, मद्य तथा नील का त्याग करना, २१- बैल को बधिया नहीं करवाना

    यह भी जरूर देखें || 



    ⏭.सवाई जयसिंह&जंतर-मंतर वेदशाला -जयपुर



    Wednesday, September 5, 2018

    Teachers' Day:Sarvepalli Radhakrishnan | president of India

    1.डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण परिचय ⇩

    2.शिक्षक दिवस पर भाषण⇓ 


    परिचय ➽

    देश के पहले उप-राष्‍ट्रपति और दूसरे राष्‍ट्रपति सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन का  जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गाँव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था तथा  निधन 17 अप्रैल 1975 में हुआ था. उन्‍हें भारत रत्‍न, ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर और टेम्‍पलटन प्राइज से नवाजा गया था.

    डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के अनमोल विचार:


    1. शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें.

    2. भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं.

    3. कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो. किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए.

    4. शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है. अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए.

    5. शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके.

    6. किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है.





    आदरणीय अध्यापकों और मेरे प्यारे मित्रों को सुप्रभात। जैसा कि हम सभी यहाँ एकत्र होने का कारण जानते हैं। हम आज यहाँ शिक्षक दिवस मनाने के लिए और हमारे व राष्ट्र के भविष्य के निर्माण के लिए शिक्षकों के कठिन प्रयासों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज 5 सितम्बर है, और यह दिन हर साल हम बड़े उत्साह, खुशी और उल्लास के साथ शिक्षक दिवस के रुप में मनाते हैं। सबसे पहले, मैं अपने कक्षा अध्यापक को इस महान अवसर पर, मुझे भाषण देने का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद कहता/कहती हूँ। मेरे प्यारे मित्रों, शिक्षक दिवस के इस अवसर पर, मैं शिक्षकों के महत्व पर हिन्दी में अपने विचार भाषण के माध्यम से रखना चाहता/चाहती हूँ।

    हर साल 5 सितम्बर, पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। वास्तव में, 5 सितम्बर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस है, जो महान विद्वान और शिक्षक थे। अपने बाद के जीवन में वह गणतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने।

    पूरे देश के विद्यार्थी इस दिन को शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए मनाते हैं। यह सही कहा गया है कि, शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ की हड्डी होते हैं। वे विद्यार्थियों के चरित्र का निर्माण करने और उसे भारत के आदर्श नागरिक के आकार में ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    अध्यापक छात्रों को अपने स्वंय के बच्चे की तरह बड़ी सावधानी और गंभीरता से शिक्षित करते हैं। किसी ने सही कहा कि, शिक्षक अभिभावकों से भी महान होता है। अभिभावक एक बच्चे को जन्म देते हैं, वहीं शिक्षक उसके चरित्र को आकर देकर उज्ज्वल भविष्य बनाते हैं। इसलिए, हमें उन्हें कभी भी भूलना और नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, हमें हमेशा उनका सम्मान और उनसे प्रेम करना चाहिए।

    हमारे माता-पिता हमें प्यार और गुण देने के लिए जन्म दिया है �


    मैं शिक्षा, विद्यार्थियों और शिक्षकों के बारे में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा शिक्षक दिवस पर उनके विद्यार्थियों के साथ हुए वार्तालाप में कही गयी कुछ बातों को कहता/कहती हूँ:


    1."शिक्षा, राष्ट्र के चरित्र निर्माण के लिए एक ताकत बन जानी चाहिए।"

    2.“बच्चों के साथ वार्तालाप करों: बचपन का आनंद लो। मरते समय तक अपने अंदर के बच्चे को जाने मत दो।”

    3."हमें अपने समाज में शिक्षकों के प्रति सम्मान को बहाल करना चाहिए।"

    4.“क्या भारत अच्छे शिक्षकों को निर्यात करने का सपना नहीं देख सकता।”

    5.“बच्चे राष्ट्र के निर्माण में स्वच्छता, ऊर्जा और पानी को बचाने के माध्यम से कर सकते हैं।”

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    Tuesday, September 4, 2018

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                 स्वामी विवेकानन्द 


    स्वामी विवेकानन्द का परिचय

    ➾ युवा शक्ति के  प्रणेता स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 ई को कलकत्ता कं प्रतिष्ठित विश्वनाथ दत्त के परिवार में हुआ । उनकं पिता पेशे से वकील थे। उनकी माता का ना  म भुवनेश्वरी देवी था । ये बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की ,तथा ईश्वर में विश्वास  रखने बाली महिला थी । उनकं बचपन का नाम नरेन्द नाथ दत्त था तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय से इन्होने स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी । 
    स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय दर्शन के  साथ साथ परिचमी दार्शनिकों जॉन स्टुअर्ट मिल, ड्रयूमा, हर्बर्ट स्पेंन्सर आदि का अध्ययन किया। 1881 इं. में स्वामी विवेकानन्द की भेंट रामकृष्ण परमहंस से हुई और उनकं व्यक्तित्व से प्रभावित होकर वे उनर्क शिष्य बन गए तथा रामकट्टण के  मानवतावाद को उन्होंने सम्पूर्ण विश्व में प्रचारित किया। रामकङ्कण की मृत्यु कं उपरान्त उन्होंने एक मठ कं निर्माण का विचार किया तथा तीन चार साथियों कं साथ मिलकर बारानगर में इसकी शुरूआत की । उन्होंने सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया इस दौरान उनकी मुलाकात अलवर महाराजा और खेतडी नरेश अजीत सिंह से हुईं । अजीत सिंह उनसे बहुत प्रभावित हुए और उनका नाम ’विवेकानन्द' रख दिया 1 खेतडी नरेश अजीत सिंह कं' आर्थिक सहयोग से विवेकानन्द ने 1893 इं. में शिकागो में आयोजित "हुए विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया तथा भारत के  गौरव को बढाया। प्रारम्भ में तो उन्हें बोलने का अवसर नहीँ प्रदान किया गया लेकिन जब उम्हें ‘बोलने का अवसर मिला और जैसे ही उन्होंने अपना सम्बोधन में |
                         ”मेरे अमरीका के भाइयों और बहनों'से प्रौरम्भ किया तो विश्व धर्मं सम्मेलन का कोलम्बस हॉल तालियों की आवाज से गूँज उठा । इसकं बाद स्वामी विवेकानन्द क्री रध्याति इतनी फैली की उन्होंने देश विदेश में आयोजित कई धर्मं सम्मेलनों में सम्बोधित किया तथा भारतीय ज्ञान और दर्शन का प्रचार किया ||   

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    स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाएे        

        1. स्वामी विवेकानन्द के  अनुसार ईश्वर सभी परिकल्पचाओं से परे है तथा सर्वव्यापी            है, वेदों में निहित ज्ञान, भक्ति, और कर्म  योग वो माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है  तथा विश्व के  सभी धर्म इनमें से किसी एक मार्ग  पर आधारित है। 


    2. सभी धर्मं अच्छे है तथा व्यक्ति को अपने धर्म का परित्याग नहीं करना चाहिए और दूसरों कं धर्म का सम्मान करना चाहिए। 

        3. हिन्दू धर्म प्राचीनतम एवं श्रेष्ठ धर्म है । इसमें आध्यात्मिकता है और कोई दोष नहीं है ।

      4. स्वामी विवेकानन्द ने वेदान्त दर्शन के माध्यम से हिन्दुओँ में आत्म गौरव जाग्रत करने    का प्रयास किया। 

    रचामी विवेकानन्द कब्र दर्शन वेदान्त पर आधारित था । इसकं अनुसार उन्होंने भेदभा और छुआछूत का घोर विरोध किया 
    उन्होंने लोगों से जग्रतिगत बन्धनों से ऊपर उठने का आहवान किया जिससे समाज मेँ किसी प्रकार का कोई भेदभाव न हो। वे युवा शक्ति कं प्रणेता थे, उन्होंने युवाओं में राष्टीयता की भावना को पोषित किया । वे भारत की स्वतन्त्रता कं पक्षधर थे उन्होंने इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु युवाओं से निडर होकर प्रयास करने का संदेश दिया । इसकं लिये उन्होंने युवल्मों को शारीरिक व 
    मानसिक रूप से शक्तिशाली होने कं लिये कहा । इस प्रकार उनर्क विचार राड्रोयता कं पोषक बनें । 
    रचामी विवेकानन्द का भारतीय समाज व संस्कृति कं उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान है । उन्होंने वर्मभेद, अदिखा, गरीबी, आदि को मिटाकर एक सशक्त भारत कं निर्माण में अपना अपूर्व योगदान दिया ।

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