1.डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण परिचय ⇩
2.शिक्षक दिवस पर भाषण⇓
परिचय ➽
देश के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गाँव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था तथा निधन 17 अप्रैल 1975 में हुआ था. उन्हें भारत रत्न, ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर और टेम्पलटन प्राइज से नवाजा गया था.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के अनमोल विचार:
1. शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें.
2. भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं.
3. कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो. किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए.
4. शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है. अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए.
5. शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके.
6. किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है.
आदरणीय अध्यापकों और मेरे प्यारे मित्रों को सुप्रभात। जैसा कि हम सभी यहाँ एकत्र होने का कारण जानते हैं। हम आज यहाँ शिक्षक दिवस मनाने के लिए और हमारे व राष्ट्र के भविष्य के निर्माण के लिए शिक्षकों के कठिन प्रयासों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज 5 सितम्बर है, और यह दिन हर साल हम बड़े उत्साह, खुशी और उल्लास के साथ शिक्षक दिवस के रुप में मनाते हैं। सबसे पहले, मैं अपने कक्षा अध्यापक को इस महान अवसर पर, मुझे भाषण देने का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद कहता/कहती हूँ। मेरे प्यारे मित्रों, शिक्षक दिवस के इस अवसर पर, मैं शिक्षकों के महत्व पर हिन्दी में अपने विचार भाषण के माध्यम से रखना चाहता/चाहती हूँ।
हर साल 5 सितम्बर, पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। वास्तव में, 5 सितम्बर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस है, जो महान विद्वान और शिक्षक थे। अपने बाद के जीवन में वह गणतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने।
पूरे देश के विद्यार्थी इस दिन को शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए मनाते हैं। यह सही कहा गया है कि, शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ की हड्डी होते हैं। वे विद्यार्थियों के चरित्र का निर्माण करने और उसे भारत के आदर्श नागरिक के आकार में ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अध्यापक छात्रों को अपने स्वंय के बच्चे की तरह बड़ी सावधानी और गंभीरता से शिक्षित करते हैं। किसी ने सही कहा कि, शिक्षक अभिभावकों से भी महान होता है। अभिभावक एक बच्चे को जन्म देते हैं, वहीं शिक्षक उसके चरित्र को आकर देकर उज्ज्वल भविष्य बनाते हैं। इसलिए, हमें उन्हें कभी भी भूलना और नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, हमें हमेशा उनका सम्मान और उनसे प्रेम करना चाहिए।
हमारे माता-पिता हमें प्यार और गुण देने के लिए जन्म दिया है �
मैं शिक्षा, विद्यार्थियों और शिक्षकों के बारे में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा शिक्षक दिवस पर उनके विद्यार्थियों के साथ हुए वार्तालाप में कही गयी कुछ बातों को कहता/कहती हूँ:
1."शिक्षा, राष्ट्र के चरित्र निर्माण के लिए एक ताकत बन जानी चाहिए।"
2.“बच्चों के साथ वार्तालाप करों: बचपन का आनंद लो। मरते समय तक अपने अंदर के बच्चे को जाने मत दो।”
3."हमें अपने समाज में शिक्षकों के प्रति सम्मान को बहाल करना चाहिए।"
4.“क्या भारत अच्छे शिक्षकों को निर्यात करने का सपना नहीं देख सकता।”
5.“बच्चे राष्ट्र के निर्माण में स्वच्छता, ऊर्जा और पानी को बचाने के माध्यम से कर सकते हैं।”
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