Sunday, November 4, 2018

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 दिपावली के शुभ अवसर पर रंगोली

दिपावली के शुभ अवसर पर रंगोली
दीवाली यानि दीयों क्री रोशनी और रंगोली के रंगो सै सजा त्यौहार । जी धनतेरस सै शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है । इस त्योहार को मनाने के लिए कई दिनों पहले से ही सभी लोग घर क्री सजाने औ र संवारने में लग जाते हैँ । जिसमें रंगोली बनाने का काम प्रमुखता से किया जाता है । क्योकि रंगोली के बिना दीवाली का त्यौहार अधूरा माना जाता है । 


इसलिए आज हम आपको को कुछ ऐसै रंगोली डिजाइन्स बता रहे हैँ, जो बनाने में आसान होने के साथ ही बेहद आकर्षक ओर खूबसूरत लगते हैँ दीवाली पर किफायती दामों में है घर सजाना, तो ये खास स्टेप्स करें फॉलो 

अगर आपको रंगोली बनानी नहीँ आती है, तो इसके लिए आप एक चॉक की मदद से डिजाइन बना लें, इससे आप आसानी से रंगोली बना पाएगीं । अब आप रंगोली में रंग भरने के लिए एक मेंहदी कार्न बनाएं या बाजार में मिलने वाले रंगों कीं शीशियों में एक छोटा सा छेद कर लें । इससे आपकी रंगोली का रंग बिखरेगा नहीं और दो रंग आपस में मिक्स होने का ख़तरा भी नहीं रहेगा ।
अगर आप रंगों सै रंगोली बनाने में खुद को कंफर्टेबल महसूस नहीं करती हैँ, तो आप रंग बिरंगे फूलों सै भी खूबसूरत रंगोली बना सकती हैँ ये कम ही समय भी बन सकती है । इसके साथ ही रंगों से बनी रंगोली क्री आउटलाइन भी आप फूलों से बना सकती हैँ । रंगोली का ये मिक्स एंड मेच आइडिया सै एक नई तरह क्री रंगोली बना सकती हैँ ।


यही नहीं आप रंगोली बनाने क्रे लिए स्पार्कल कलर और कलरफुल वीडस सितारों से भी रंगोली क्रो एक नया लुक दे सकते हैँ या रंगोली क्रो छोटे बडे कलरफुल दियों सै भी सजा सकती हैँ ।
अगर आप रंगोली नहीं बना पा रही हैँ, तो आप बाजार में मौजूद रंगोली स्टेंसिल से रंगोली बना लें और उसके बीच में एक कांच का बडा सा बाउल रखें जो पानी और गुलाब की पत्तियों से भरा हुआ हो । आप चाहें तो इसमें फ्लोटिंग कैंडल्स या फ्लोटिंग दीये रखें । ये आपकी रंगोली के साथ आपके आंगन ओर ड्राइंग रूम को एक अलग लुक देगी ।


कार्तिक मास की अमावस्या पर इस बार 7 नवंबर 201 8 क्री दिवाली का पर्व विश्वभर में धूम-धाम सै मनाया जाएगा। दिवाली पर रंगोली का महत्व बहुत अधिक होता है, दिवाली के दिन घर में
रंगोली इसलिए बनाई जाती है ताकि मां लस्सी का घर में आगमन हो ।
दिबाली के लिए जोरों शोरो सै तैयारियां चल रही हैं । दिबाली के दिन लोग घरों में रंगोली अवश्य बनाते हैँ । पर क्या आप जानते हैँ कि
दिवाली पर रंगोली में माता लश्मी के पैर वयं बनाए जाते हैं..? आखिर रंगोली घरों में क्यों बनाई जाती है. .?
तो आज हम आपकी बताएंगे कि आखिर दिबाली पर रंगीली किसलिए बनाईं जाती है। साथ ही माता लस्सी के पदचिन्हों का महत्व भी बताएंगे । रंगोली को त्यौहार, व्रत, पूजा, उत्सव, विवाह आदि शुभ अवसरों पर बनाया जाता है। रंगोली हमेशा लाल गेरू, चावल, आटा या सूखे और प्राकृतिक रंगों सै बनाई जाती है। रंगीली कुछ घरों में अब पेट सै भी बनाई जाती है ।

 दिवाली पर रंगोली का महत्व 


रंगोली में लोग साधारण चित्र और आकृतियां बनाते है । या फिर देवी देवताओं की आकृतियां । रंगोली में स्वस्तिक, कमल का फूल, लश्मी जी के पदचिह्न भी बनाए जाते है । खासतौर पर दिवाली पर तो लश्मी जी के पैर अवश्य बनाए जाते हैं ।
रंगोली के ये चिह्न समृद्धि और मंगलकामना का संकेत हैँ । दिवाली पर घरों में लस्सी पैर उकेरना शुभ माना जाता है । ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन मां लस्सी सबके घरों में विचरण करती हैं । इसलिए लश्मी के पैरों को घरों में माता के विचरण के तौर पर देखा जाता है ।
इसीलिए घरों, देवालयों में हर दिन रंगोली बनाई जाती है । घर क्री महिलाएं बड़े प्रेम के साथ इस भावना से रंगोली बनाती हैँ कि यह भी ईश्वर की पूंजा है ।

कहां सै शुरू हुई रंगोली 


रंगोली शब्द संस्कृत के एक शब्द र'गावली' से लिया गया हे । इसे अल्पना भी कहा जाता है । भारत में इसे सिर्फ त्योहारों पर ही नहीं, बल्कि शुभ अवसरों, पूजा आदि पर भी बनाया जाता है । इससे जहां आने वाले मेहमानों का स्वागत होता है, वहीँ भगवान के प्रसम्न होने की कल्पना भी क्री जाती है ।
रंगोली के बारे में एक प्राचीन कथा है । एक बार शंकर जी हिमालय दर्शन के लिए चल पडे । जाते समय पार्वती जी से कहा जब मैँ घर वापस लौर्टू तो मुझे घर और आंगन मन को प्रसत्न करने वाला मिलना चाहिए। अगर ऐसा ना हुआ तो में दुबारा हिमालय लौट जाऊंगा। यह सुन कर माता पार्वती चौंकी । उधर शंकर जी हिमालय क्री और चले गए।
पार्बती जी ने घर में साफ सफाई क्री और उसे स्वच्छ सुंदर बनाने के लिए पूरा आंगन गोबर सै लीपा भी । घर अभी पूरी तरह से सूखा भी नहीं था कि शंकर भगवान के आने क्री सूचना उनके मास पहुंची । पार्वती जी फूल हाथ में लिए उनके स्वागत के लिए जल्दी जल्दी चलने के कारण वहीँ फिसल गईं और उनके महावर लगे पैरों की
नहीं था कि शंकर भगवान के आने की सूचना उनके घास पहुंची । पार्वती जी फूल हाथ में लिए उनके स्वागत के लिए जल्दी जल्दी चलने के कारण वहीँ फिसल गईं और उनके महावर लगे पैरों की सुंदर आकृति क्री छाप वहां बन गई । लाल रंग के महावर पर गिरे फूलों ने वहां का दृश्य अद्भुत बना दिया ।
तभी भगवान शंकर वहां आ पहुंचे और उसे देख कर मंत्रमुग्ध हो उठे । बडी प्रसन्नता से उन्होंने कहा कि जिन जिन घरों में

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