हुलस रहा माटी का कण-कण, उमड़ रही रस धार है। त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है।।
मनभावन सावन आते ही, हरियाली छा जाती है। राखी के दिन बहिन खुशी से, फूली नहीं समाती है।।
घर बाहर झूले ही झूले गाते राग मल्हार हैं। त्योहारों का देश हमारा, आजादी के दिवस तिरंगा, हमको इससे प्यार है।।
घर–घर पर लहराता है। वीर शहीदों की गाथाएँ हमको याद दिलाता है। मन भावों से भर जाता है। माँ की जय जयकार है। त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है।
आता है हर वर्ष दशहरा, होते खेल तमाशे हैं। दीवाली पर दीप-दान, फुलझड़ियाँ खील बताशे हैं।। | धूम-धड़ाके और पटाखों, की कैसी भरमार है ! त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है।।
भाईचारे का संदेशा, ले ईद-मुबारक आती है। मीठी खीर, सिवैयाँ, सबके मन को भाती हैं। खेल-खिलौने पाते बच्चे, क्रिसमस के उपहार हैं। त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है।।
लोकतंत्र की झाँकी ले, छब्बीस जनवरी आती है। बासंती फूलों की खुशबू, झोली में भर जाती है।। होली में डफ ढोल, मंजीरे, रंगों की बौछार है। त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है।।
लोकतंत्र की झाँकी ले, छब्बीस जनवरी आती है। बासंती फूलों की खुशबू, झोली में भर जाती है।। होली में डफ ढोल, मंजीरे, रंगों की बौछार है। त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है।। त्योहारों का देश हमारा, हमको इससे प्यार है।।
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