Rani Padmini Story in Hindi | रानी पदमिनी की कहानी | Rani Padmavati
नमस्कार साथियों – आज हम आप को बताने वाले है - रानी पद्मिनि के साहस और बलिदान की
गौरवगाथाओं के अमर इतिहास के बारे में है।
ध्यान दें – नीचें Rani Padmini का विडियो भी दिया गया है !
Rani Padmini Story in Hindi | रानी पदमिनी की कहानी | Rani Padmavati
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Padmawati सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी थी।
उनके पास एक हिरामणी नाम का तोता था जिससे वो सबसे अधिक प्रेम करती थी वो तोता इंसानों
की भाषा बोल व समज पाता था पद्मावती सिहल द्वीप व आस पास के सभी राज्य मे सबसे सुन्दर राजकुमारी थी
जिसकी हर राज्य व गावों मे चर्चा थी व Padmawati की सुन्दरता इतनी थी |
की आज तक कोई कवी व इतिहासकार उनकी सुन्दरता का पुरा व्याख्यान नही कर पाया |
कवियों के अनुसार पदमावती जब पानी पीती तो पानी भी उनके गले से साफ दिखाई देता था
उनके पास एक हिरामणी नाम का तोता था जिससे वो सबसे अधिक प्रेम करती थी वो तोता इंसानों
की भाषा बोल व समज पाता था पद्मावती सिहल द्वीप व आस पास के सभी राज्य मे सबसे सुन्दर राजकुमारी थी
जिसकी हर राज्य व गावों मे चर्चा थी व Padmawati की सुन्दरता इतनी थी |
की आज तक कोई कवी व इतिहासकार उनकी सुन्दरता का पुरा व्याख्यान नही कर पाया |
कवियों के अनुसार पदमावती जब पानी पीती तो पानी भी उनके गले से साफ दिखाई देता था
पद्मावती के विवाह के लिए योग्य जीवन साथी के चुनाव के लिए गंधर्व सेन द्वारा स्वयंवर रखा गया था !
जिसमें सभी राजपुत शासको को निमन्त्रण दिया गया व उसमे चित्तौड़गढ़ के राजा रतन सिंह भी पहुंचे -
जिनकी पहले से 13 रानीया थी राजा रतन सिंह ने उस स्वयवर मे एक छोटे राज्य के राजा मलखान सिंह को
पराजित कर के पद्मावती से विवाह कर लिया व पद्मावती को अपने साथ चित्तौड़गढ़ ले आये -
रतन सिंह वीर योद्धा के साथ साथ संगीत व नृत्य के भी शौकीन थे
उनके दरबार मे राघव चेतक नाम का प्रसिद्ध संगीतकार था जिसे रतन सिंह काफी मानते थे
पर राघव चेतक को काला जादू भी आता था पर ये बात राज्य मे किसी को भी पता नही थी
पर राघव चेतक ने अपनी विध्या का प्रयोग अपने ही राजा रतन सिंह के खिलाफ किया
तो इस बात का पता पूरे राज्य को चल गया और उसके बाद रतन सिंह ने राघव चेतन का मुह काला कर के राज्य
मे उसे बदनाम किया जिससे की वो रतन सिंह का दुश्मन बन गया व वो रतन सिंह से अपनी बदनामी
का बदला लेना चाहता था |
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रतन सिंह व अलाउद्दीन खिलजी का युद्ध और पद्मावती का जौहर-
राजा रत्न सिंह द्वारा अपमानित किया जाने पर राघव चेतन ने अपना बदला लेने के लिए अलाउद्दीन खिलजी
को अपना हथियार बना लिया व राघव चेतन अलाउद्दीन को अच्छे से जानता था !
क्युँकि उनके समय के वो एक महान शासक था जिसे सभी लोग जानते थे राघव चेतन ने अलाउद्दीन से दिल्ली
मे मुलाकात की व उसमे पद्मावती के रूप का वर्णन कर के खिलजी को पूर्ण रुप से मोहित कर दिया |
जिसके बाद अलाउद्दीन पद्मावती को देखने को बैचेन हो |
वह चित्तौड़ की सुरक्षा को देखते हुवे | हुद्ध के बजाए एक शल योजना बनवाई |
अलाउद्दीन ने राणा रतनसिंह से कहा की वह rani पद्मिनी को बहन मानता है ! वह उसे एक बार देखना चाहता है
तब राजपूत धर्म के अनुसार rani padmavti का चहरा कांच में दिखने को तयार हुवे |
जब rani की झलक अलाउद्दीन ने देखि तो वह अपने आप को रोख नही पाया | उसके मन में rani padmavti को अपना बनाने की लालचा जग गहि |
जब राणा रतनसिंह अलाउद्दीन को द्वार से बार छोड़ने साथ-साथ चले तो अलाउद्दीन ने मोखा देख कर राणा
को बंदी बना लिया | और rani Padmini की मांग करने लगे |
राजा रतन सिंह को बंदी बनाने की इस बात का पता जब रानी पद्मावती को चला तो उन्होंने इस धोखे का बदला
धोखे से लेने की एक योजना बनाएं - उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी के पास यह संदेश भिजवाया की
रानी पद्मावती आने को तैयार है - लेकिन वह अपनी दासियों के साथ उनके शिविर में पालकी मैं बैठकर आएगी |
इस योजना में रानी पद्मावती ने पालकी मैं उनके वीर योद्धा गोरा बादल सहित कहीं ऐसे विश्वसनीय सैनिकों
को हथियारबंद भेज दिया जैसे ही पालकी अलाउद्दीन खिलजी के शिविर में जाती है -
जहां अलाउद्दीन सुकून का मुंह में उड़ता है तो पालकी में बैठे सैनिकों ने अचानक से घमासान मचा देते हैं
और राजा रतन सिंह को वहां से छुड़वा कर ले आते हैं | अलाउद्दीन के मन में जिज्ञासा अभी समाप्त नहीं हुई थी |
उन्होंने चित्तौड़ के किले को घेरा डालने के लिए अपने सैनिकों को आदेश दे दिया |
कई दिनों तक चित्तौड़ के दुर्ग के चारों और घेराबंदी रही |
लेकिन जब दुर्ग जल का संकट आने लगा तो राजा रतन सिंह द्वार खोलने का हुक्म दे दिया |
दोनों के सेनाओं के मध्य भारी युद्ध हुआ | जब इस युद्ध में योद्धा गोरा बादल शहीद हो गए थे
और रावल रतन सिंह जी शहीद होने के समाचार सुनकर रानी पद्मावती ने अपनी 1600 दाशियों के साथ
अग्नि कुंड में कूदकर अपने मान-सम्मान और सील धर्म की रक्षा करने के लिए जोहर कर लिया |
जब अलाउद्दीन की विजय सेना चित्तौड़ दुर्ग जाकर देखती है तो वहां चारों ओर राख नजर आते हैं
वहाँ रानी की अस्थि तक उन्हें नहीं मिल पाती है |
रानी पद्मावती अपने शौर्य बलिदान के लिए राजस्थान प्रदेश तथा विश्व के इतिहास में प्रसिद्ध हुई |
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