काम और समय का ज्ञान जरूरी क्यों –
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संगति कितनी महत्वपूर्ण हैं, इसके बारे में
हमारे गुरुजन और शास्त्र बराबर निर्देश देते रहे हैं !
आज आपको इस पोस्ट
के माध्यम से काम और समय दोनों के मेल को किस प्रकार रखना चाहिए ! और किस प्रकार
इसका संबंध होता है ! यह सारी जानकारी आपको संक्षिप्त में दी जाएगी -
गुरु बृहस्पति ने सुझाव सुझाया है
कि जिसके बल परिवार और कार्य का पता ना हो उसका साथ देने से पहले खूब सोच ले ! इस
निर्देश या सुझाव में परिवार या कुल का उल्लेख शायद इसलिए हो की कुल जान लेने से
इंसान पर भरोसा हो जाता है ! यहां वर्तमान परिस्थितियों में इस निर्देश को नई रोशनी में देखें तो कह सकते
हैं ! कि इसके पास एक नैतिक आधार हो उस पर भी भरोसा किया जा सकता है !
जहां तक कार्य और बल का प्रश्न है ? तो युगांतर के
बावजूद यह 100% सत्य है की निर्बल कोई नहीं है
! कोई भी निर्भर नहीं होता सबको अपने अपने बल पर जीते हैं ! इसके नजरअंदाज कर देते
हैं हर शख्स की अपनी ताकत होती है ! उसे उसका पता हो उस जरूरी है ! शायद गुरु की
ताकत भी यही है कि अपना बल जानू अपने व्यक्ति का सकारात्मक पक्ष भी कहा जा सकता है
! इसमें एक आयाम और
दिखाई देता है शुद्ध जनों का यह मत है कि क्रोधी शक्ति यानी अपने अनुसार जी कर और
समझदार माना जाता है !
अब फिर गुरु की हिदायत पर लौटते
हैं ! उनोने तीसरी बात कार्य की गई ! इसके पास काम या जो काम को कद्र करता है !
उसका साथ देना उचित है ! जिसे काम का ही नहीं पता उसका ऐसे या ना हो उसका साथ केवल
नकारात्मक जाएगा !
बल काम और नैतिकता का भाव से विद्वान प्राप्त संभव है !
विधान जनों से सात से शास्त्र ज्ञान मिलता है शास्त्र ज्ञान से विनय और विनय से
लोक अनुराग प्राप्त होता है गुंजन कहते हैं कि लोग अनुराग मिल जाते हैं तो उसका
क्या नहीं प्राप्त कर सकता वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है !
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