राजस्थान राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित है । इसकी भौगोलिक स्थिति 23०3 से 30०12उत्तरी अंक्षांशों तथा -69०30१ से ‘78०17' पूर्वी देशाङ्गतरों के मध्य है1 । इसके उत्तरं में पंजाब , उत्तर-पूर्व में हरियाणा व देहली दक्षिण में गुजरात; पश्चिम में पाकिस्तान, पूर्व में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिणपूर्व में मध्यप्रदेश है । भौगोलिक दृष्टि सै राजस्थान पूर्व मे गंगायमुना नदियों के मेंदान, दक्षिण में मालवा के पठार तथा उत्तर एवं उत्तर पूर्व मे सतलज-व्यास नदियों के मैदान द्वारा धिरा हुआ है । कर्क रेखा राजस्थान की दक्षिणी सीमा को छूती हुई निकलती है । इसका आकार विपमक्रोण चतुमुँज (rhombus) के समान है । राजस्थान राज्य की लम्बाई उत्तर से दक्षिण तक 826 किलोमीटर हैं\ जो उत्तर मे गंगानगर जिले मे क्रोणागावं के समीप स्थित A , गांव की उत्तरी सीमा के सिरे से दक्षिण मे कुशलगड़ तहसील बासवाड़ा जिलें के बोरकृण्ड गांव की दक्षिणी सीमा तक है ।. पूर्व से पश्चिम "की ' लम्बाई पूर्व मै धौलपुर जिले की तहसील राजाखेड़। के गाव सिलान की मूवी सीमा से पश्चिम में जैसलमेर जिले की सम तहसील के कत्ररा गाव की पश्चिमी सीमा तक 869 किलोमीटर है । राजस्थान की स्थलीय सीमा लगभग 5920 किलोमीटरं लम्बी है जिसमे से उत्तरा-पश्चिमी सीमा लराभग 107० किलोमीटर पाकिस्तान की अन्तर्राष्ट्रपैस सीमा सै मिली हुई है । ..
क्षेत्रफल को दृष्टि से यह भारत सबसे बड़ा राज्य है । " इसका क्षेत्रफल 3 ,42 ,239 बर्ग किलोमीटर है जो भारत के लगभग 11 .41 प्रतिशत क्षेत्रफल के बराबर है। भारत में राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है तत्पश्चात् क्रमश: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र ,आंध्र प्रदेश व उत्तरप्रदेश आदि राज्यों का स्थान है । ' पश्चिमी सीमा पाकिस्तान से लगी है जो 1070 किलोमीर्टर लम्बी है । इस सीमा पर गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर जिलों की " सीमा स्थित है । यह सीमा उत्तर में फाजिल्का से 10 किलोमीटर" दक्षिण सें प्रारम्भ होकर पपिचम में शाहगढ़. तक चेली गई है और आगे कच्छ की खाडी के उत्तर-पूर्वीमिरें पर समात हो जाती है 1 पाकिस्तान की ओर, सीमा पर बहावलपुर खैरपुर और मीरपुर खास जिले हैं । ध्यातव्य रहे कि यह अन्तंर्राष्ट्रपैय सीमा भारतीय उपमहाद्वीप के ऐसे क्षेत्र से गुजरती है जो उष्ण, शुष्क एवं विरल वसाय वाला मरुस्थल है 1 साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव-पूर्ण सम्बन्ध, विशिष्ट भू-राजनीतिक्रं परिस्थितियाँ धार्मिक विद्वेष तथा आतंक्रकारी गतिविधियों के कारण यह सीमा संवेदनशील बनी हुई है ।
वर्तमान में यह "सम्पूर्ण पश्चिमी सीमा अनेकों सन्धियों -आपसी समझौतों के मानचित्रों एवं रेडबिलफ अवार्ड _द्वारा सुनिधिचत है लेकिन भारतीय क्षेत्र मे निर्मित इन्दिरा गाधी नहर के कारण समस्त पश्चिमी सीमावर्ती भाग संवेदनशीलता से अत्यधिक प्रभावित है ||
भौगोलिक दृष्टि से भारत व पाकिस्तान दोनों एक ही उपमहाद्वीप के अग होने के कारण एक हैँ लेकिन राजनीतिक दृष्टि से दोनों अलग-अलग राष्ट्र है | भारत व पाकिस्तान के मध्य प्राकृतिक सीभाऐ नहीं है । इसलिए आये दिन कई समस्याए उत्पन्न हो जाती है | अगर भारत पाकिस्तान के बीच अच्छे पडौसी की भाति सम्बन्ध वने रहे तो इस सीमा का उपयोग थल व्यापार की सुविधा के लिए तथा -दोनों द्वेशों के निवासियों के बीच संस्कृति का आदान_ प्रदान करने के लिए हो _सकता है 1 इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत व पाकिस्तान के बीच की सीपा न केवलं राजस्थान वल्कि देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं ।
राजस्थान नाम लकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ⇨
वर्त्तमान राजस्थान के लिए पहले किसी - एक नाम के प्रयोग इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मे नहीं पाया जाता।प्राचीन प्राचीन व मध्य युग में राजस्थान के अलग-अलग प्रदेशों के भित्र-भिन्न नाम थे ।' और उनके कुछ विभाग अन्य प्रदेशो के अन्तंर्गत्त आते थे । वर्तमान बीकानेर और जोधपुर के जिले, महाभारत काल में देश कहलाते थे । बीकानेर राज्य के राज्य चिह मे जंय जगंलधर के " ॰ बादशाह (जांगल द्रेश के स्वामी होने के कारणं) लिखा मिलता है। कभी-कभी इनकर नाम कुरु जागला और मरद्वेयं जंगला : भी मिलता हैं जो कुर और मद्द के पडोसी देशों के नाम सै सम्बन्धित था । इसकी राजधानी अहिच्छत्रपुर थी जिसको इस समय नागौर कहते हैं । गंगानगर के आस-पास का प्रदेश यौद्वेय कहलाता था । जांगल देश के आस -पास के भाग को सयादलक्ष कहते थे जिस पर चौहानों का अधिकार था । उन्हे' इसलिए सपादलक्षीय नृपति भी कहते थे । जब उनके राज्य का विस्तार हुआ, तो राज्य फी राजधानी शाकम्भरी (सांभर) दो गमी और वे शाकम्भरीश्वर कहे जाने लगे रजब इनकी राजधानी अजमेर हुईं तब इनके राज्य विस्तार में मास्वाड़, बीकानेर, दिल्ली ओर मेवाड के बहुत से भाग सम्मिलित ये' । प्राचीनकाल में उत्तरी भारत में कुरु, मत्स्य और शूरुसैन के राज्य बहुत विस्तृत थे । अलवर राज्य का उत्तरी भाग, कुरु देश का दक्षिणी और पश्चिमी भाग, मत्स्य देश का पूर्वी भाग शूरु सैन देश के अन्तर्गत था । भरतपुर ओर धौलपुर तथा करौली राज्य के अधिकांश .. भाग शूरुसैन देश के अन्तर्गत थे । जयपुर-टोंक के चारों ओर का प्रदेश विराट कहलाता था । उदयपुर राज्य का प्राचीन नाम शिवि था जिसकी राजधानी मध्यमिका थी । आजकल मध्यमिका क्रो नगरी कहते हैं जो चित्तोंड़ के 11 किमी. उत्तर में है । वहाँ पर मेव जाति का ॰अधिकार रहा जिससे उसे मेदपाट या ग्राग्वाट भी कहा जाने लगा अथवा सतत् रूप से यहाँ के शासक मलेच्छी से सवंर्ष करते रहे । अतएव इस देश क्रो मेद (मलेच्छी क्रो मारने वाला) की संज्ञा दी गई । डूंगरपुर, बांसवाडा के प्रदेश क्रो व्याघ्रवाट, बाद मेँ चागड़ कहते थे । आज भी यह भाग उसी नाम से जाना जाता हैं । जोधपुर के राज्य क्रो मेरु और फिर मरुचार और मारवाड़ कहा जाने लगा । जोधपुरपाली का समीपवर्ती प्रदेश गुर्जरत्रा कहलाता था । बाड़नेर का प्रदेश पहले श्रीमाल, बाद में भीनमाल, वर्तमान में बाडमेर तथा जैसलमेर राज्य का पुराना नाम भाड था तथा आसपास का प्रदेश वल्ल और टुंगल नाम से जाना जाता था। ��
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