Tuesday, August 13, 2019

आखिर धरती किस पर खड़ी है और पृथ्वी के नीचे क्या हैं ? - what is below the earth in space


आखिर धरती किस पर खड़ी है और पृथ्वी के नीचे क्या हैं  ? - what is below the earth in space


आखिर धरती किस पर खड़ी है और पृथ्वी के नीचे क्या हैं  ? - what is below the earth in space


Youtube  जैसे प्लेटफॉर्म पर कुछ राहुल गांधी भी मिलते हैं। इनके विचार मर्यादा तोड़ने पर विवश कर देते हैं। ये बात उनके प्रोफाइल का दो मिनट अध्ययन करके पता चल जाता है। कुछ लोगों यहाँ वाल्मीकि और वेदव्यास भी मोजूद है । ऐसे ही कुछ कारणों से ये उत्तर बस आपको ही समर्पित करता हूं जिससे कोई और प्रश्न ना करे।


तो आये जानते है आखिर कार प्रथ्वी किस पर खड़ी है ओर इसके निचे किया है |


आखिर धरती किस पर खड़ी है और पृथ्वी के नीचे क्या हैं  ? - what is below the earth in space





वैज्ञानिकता प्रमाणिकता पर टिकी होती है। आधुनिक वैज्ञानिकता उन मशीनों पर आश्रित होती है जिसे इंसान ने खुद बनाया। साधारण इंसान की दिमाग तीन से चार प्रतिशत ही चलता है ये भी आज का ही विज्ञान बोलता है, और इंसान की भी एक्सपाइरी डेट होती है। आज का विज्ञान कहता है कि तारों को देखना है तो इस मशीन से देखो नजदीक दिखेगा। सौ साल बाद का विज्ञान कोई और मशीन लेकर आयेगा। सनातन धर्म में पहले ही दिव्य दृष्टि का उल्लेख है, संजय एवं कई ऋषि मुनि गण इसके उदाहरण हैं।

रामायण को तो सभी मानते हैं। राम को जो काल्पनिक कहते थे वो भी मानते हैं, राम को जो आदर्श पति नही मानते वो भी उनके अस्तित्व को मानते हैं। रामायण की बस कुछ ही बातों को जानते हैं बस यही दोष है।

परशुराम जी पर क्रोधित होकर लक्ष्मण जी ने कहा था कि मैं अपने भैया की शक्ति का अंश मात्र भी नही हूं लेकिन चाहूं तो पृथ्वी को गेंद की भांति उछाल सकता हूं। उस जमाने में दिया गया हिंट कुछ लोग अब तक नही समझे। आज का विज्ञान अभी इतना तेज नही हुआ कि धरती पर एकमात्र उपस्थित भगवान हनुमान जी को कैमरे पर दिखा सके लेकिन अध्यात्म के विज्ञान पर चलने वाला आज भी उनके दर्शन प्राप्त कर लेता है, कई सिद्ध स्थान हैं जहां वो साक्षात हैं।

आखिर धरती किस पर खड़ी है और पृथ्वी के नीचे क्या हैं  ? - what is below the earth in space


लेकिन आज का विझान

धरती तथा अन्य ग्रहों, आपस में बनी हुई गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बल पर टिके हुएं है।


पौराणिक कथाओं में ये वर्णन है कि शेषनाग भगवान विष्णु की शय्या है और उनके माथे पर पृथ्वी टिकी हुई है। आधुनिक विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि पृथ्वी शेषनाग पर नही टिकी हुई है।

हमारे ग्रंथों में बहुत सारी बातें सांकेतिक रूप में भी कही गयी हैं। शेष (नाग) का वर्णन भी शायद ऐसा ही सांकेतिक वर्णन हो सकता है।

शेष का अर्थ है जो बचा रह जाये। अभी तक कि वैज्ञानिक शोध में यही पता चलता है कि पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां मानव जीवन बचा हुआ है। तो शेष का ये भी एक अर्थ है।

कई पौराणिक शोधकर्ता ये मानते हैं कि पृथ्वी की प्लेटें वो शेषनाग का सांकेतिक रूप हैं। पुराणों में शेषनाग के कई सर बताये गए हैं और ऐसा कहा गया है कि जब शेषनाग पृथ्वी को अपने एक सर से दूसरे सर पर ले जाते हैं तो भूकंप आते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हम देखें तो जब भी पृथ्वी की प्लेट्स में हलचल होती है तो भूकंप आते हैं। मेरी मान्यता ये हैं पृथ्वी की प्लेटें (एक ऐसी थ्योरी है जिससे हम आधुनिक विज्ञान और पौराणिक कथाओं की सांकेतिक भाषा के बीच मे थोड़ा संबंध देख सकते हैं।

अंत मे मैं यही कहना चाहता हूँ कि सिर्फ आधुनिक विज्ञान के दृष्टिकोण से देखने पर पृथ्वी के शेषनाग पर टिके होने की बात कोरी कल्पना लगेगी, लेकिन पौराणिक कथाओं के पीछे की सांकेतिक भाषा को ध्यान से देखें तो हमें अपने ब्रह्मांड के कई रहस्य उसमे वर्णित मिलेंगे (जिनको आधुनिक विज्ञान भी मानता है)

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लेकिन साथ ही साथ यह भी मानता है की 

धरती कहीं पर भी नहीं टिकी हुई बल्कि अंतरिक्ष में एक निश्चित दायरे में घूम रही है।

अपनी धुरी के अलावा ये सूर्य की विशाल परिक्रमा करती रहती है। ये स्कूल में बहुत छोटी कक्षाओं में ही पढ़ाया जाता है।



ना केवल धरती बल्कि सूरज चाँद तारे सब अंतरिक्ष में निस्श्चित दायरों में परिक्रमाएँ करते हैं।

करोड़ों तारे एक बड़े समूह में, जिसे गैलिक्सी कहते हैं , विचरण करते हैं। लाखों गैलिक्सी अंतरिक्ष में एक केंद्र बिंदु से परे बड़ी तेज़ी से भाग रही हैं।

कहीं कुछ टिका हुआ नहीं है।

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