Tuesday, August 13, 2019

चंद्रयान-2 के 48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव – Chandrayaan 2 Mission - ISRO


चंद्रयान-2 के 48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव – Chandrayaan 2 Mission - ISRO


Chandrayaan 2 Mission - ISRO


चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद 14 अगस्त से 20 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा. 20 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा. इसके बाद 11 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा. 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा.

चंद्रयान-2 के 48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव – Chandrayaan 2 Mission - ISRO



वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि चांद के जिस हिस्से की पड़ताल का जिम्मा चंद्रयान-2 को मिला है, वह सौर व्यवस्था को समझने और पृथ्वी के विकास क्रम को जानने में भी मददगार हो सकता है.

चंद्रयान-2 चांद पर पानी की मौजूदगी तलाशने के अलावा भविष्य में यहां मनुष्य के रहने की संभावना भी तलाशेगा.

चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम जहां उतरेगा उसी जगह पर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते है या नहीं. वहां थर्मल और लूनर डेनसिटी कितनी है. रोवर चांद के सतह की रासायनिक जांच करेगा.
चंद्रयान-2' के लॉन्च के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जिन्होंने चंद्रमा पर खोजी यान उतारा है.

चंद्रयान-2 के 48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव – Chandrayaan 2 Mission - ISRO


मिशन के दौरान जल के संकेत तलाशने के अलावा 'शुरुआती सौर मंडल के फॉसिल रिकॉर्ड' तलाश किए जाएंगे, जिसके ज़रिये यह जानने में भी मदद मिल सकेगी कि हमारे सौरमंडल, उसके ग्रहों और उनके उपग्रहों का गठन किस प्रकार हुआ था.


चंद्रयान-2 के कुल तीन मुख्य हिस्से हैं, पहला हिस्सा ऑर्बिटर है. चांद की सतह के नजदीक पहुंचने के बाद चंद्रयान चांद के साउथ पोल की सतह पर उतरेगा. इस प्रक्रिया में 4 दिन लगेंगे. चांद की सतह के नजदीक पहुंचने पर लैंडर (विक्रम) अपनी कक्षा बदलेगा. फिर वह सतह की उस जगह को स्कैन करेगा जहां उसे उतरना है. लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और आखिर में चांद की सतह पर उतर जाएगा.

लैंडिंग के बाद लैंडर (विक्रम) का दरवाजा खुलेगा और वह रोवर (प्रज्ञान) को रिलीज करेगा. रोवर के निकलने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा. फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा, इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी. 


चंद्रयान-2 के 48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव – Chandrayaan 2 Mission - ISRO



इस मिशन के बाद भारत कमर्शियल उपग्रहों और ऑरबिटिंग की डील हासिल कर पाएगा, यानी भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी क्षमता साबित कर सकेगा, जिसकी मदद से हमें अन्य देशों के उपग्रहों के अंतरिक्ष में भेजने के करार हासिल हो पाएंगे. चंद्रयान-2 जैसा जटिल मिशन सारी दुनिया को संदेश देगा कि भारत जटिल तकनीकी मिशनों को कामयाब करने में भी पूरी तरह सक्षम है. रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर तक घूम सकता है। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है. रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है. इसकी कुल लाइफ 1 लूनर डे की है |


इससे पहले रूस ने किया था मदद का वादा


नवंबर 2007 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने कहा था कि वह इस प्रोजेक्ट में साथ काम करेगा. वह इसरो को लैंडर देगा. साल 2008 में इस मिशन को सरकार से अनुमति मिली. साल 2009 में चंद्रयान-2 का डिजाइन तैयार कर लिया गया. जनवरी 2013 में लॉन्चिंग तय थी, लेकिन रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस लैंडर नहीं दे पाई.


इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने खुद लैंडर बनाने की पहल की. इस मिशन की सफलता से यह साफ हो जाएगा कि हमारे वैज्ञानिक किसी के मोहताज  nhi hai .. वे कोई भी मिशन पूरा कर सकते हैं.

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