चाय की ख़ोज बड़ी रोचक कहानी….
बात 1904 में अमेरिका के मिसौरी में चाय वाला चाय बेच रहा था
गर्मी काफी थी ! इसीलिए बहुत कम लोग चाय पीने में रुचि ले रहे थे ! अचानक
चाय वाले को एक दिल लगी हुई ! पास में आइसक्रीम बेच रहे एक आइसक्रीम वाले से कुछ
बर्फ मांग कर ले आया ! उसने 1 पोर्ट में उगले चाय
के पानी में बर्फ डाल दिया और उसे ग्राहकों को बेस
यूं ही टेस्ट चेंज कराने के नाम पर सर्वे किया ! पर ग्राहकों को तो उसका स्वाद
बड़ा पसंद आया और देखते ही देखते उसकी आई
स्टडी फेमस हो गई ! इस तरह गोल्डी प्रचलन में आई
साथ साथ कई प्रकार की टी चाय प्रचलन में आई और वर्तमान समय में तो विभिन्न
प्रकार की चाय मार्केट में उपलब्ध है !
कैसे हुई थी चाय की खोज ?
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मेडिसन करते-करते चाय की
खोज हो गई तो आइस्ड टी की भी बड़ी रोचक कहानी है !
सुबह उठते ही हम सबको चाय चाहिए ! चाय
हमारी संस्कृति में ऐसी बस गई है कि कई बार तो लगता है, चाय नहीं होती तो पता नहीं हमारी जिंदगी कैसी होती ! आखिर
हमारी जिंदगी में चाय आई कैसे ? यह जानना भी काफी दिलचस्प है !
चाय की खोज का श्रेय बौधिधर्म नामक एक बोद्ध
भिक्षु को जाता है ! यह बोध धर्म वही है, जिन्होंने शाओलिन कुंग-फू नामक मार्शल आर्ट का आविष्कार किया था ! और
मजेदार बात यह है कि बोधिधर्म मूलतः भारत
के थे ! उनका जन्म दक्षिण भारत के पल्लव शासकों के किसी राज परिवार में हुआ था !
वह बाद में हिंदू से बौद्ध बन गए उनके गुरु ने धर्म प्रचार के लिए उन्हें चीन
जाने के निर्देश दिए तो वह 485 इस्वी में चीन पहुंच गए !
चीन में बौद्ध धर्म
मेडिसन सिखाने लगे ! उनका यही मेडिसन चाय की खोज की वजह बना ! चीन में इसको
लेकर कई दिन की प्रसिद्ध है ! इसी किवदन्तियो के अनुसार एक बार बोधिधर्म ने
9 साल तक बगुर पलकें झपकाईं ध्यान करने का संकल्प लिया !
लेकिन उनका यह संकल्प पूरा होने के कुछ दिन पहले ही उन्हें नींद लग गई ! उनका सपना
टूट गया नींद खुलते ही उन्होंने गुस्से में अपनी पलके उखाड़कर जंगल
में फेंक दी ! कुछ दिनों बाद वह वापस उन्हीं जगह आए तो उन्होंने वहां कुछ झाड़ियां
नजर आई ! उन्होंने उसकी कुछ पत्तियों को तोड़कर चखा तो उसने अचानक एक नई ऊर्जा
का संचार हो गया ! यही पत्ते चाय थी ! अब जरा किवदंती को अगर अलग अलग रख दे
! तो कुछ ऐसा होगा कि ध्यान के संकल्प के समय बोधिधर्म को नींद आने लगी होगी ! इससे
बचने के लिए उन्होंने आस पास की झाड़ियों के पत्ते को रखा होगा ! उस उनकी नींद भाग
गई होगी ! बस यही से चाय की खोज हुई होगी !
चाय की खोज की एक और कहानी भी प्रचलित है
! एक बार चीनी शासक शेन नुंग तपती धूप में एक पेड़ के नीचे आराम फरमा रहे थे ! मौसम
में सुस्ती छाई हुई थी ! तभी उन्हें एक सेवक से अपने लिए पानी गर्म करके लाने को
कहा लेकिन पानी गर्म करते समय हवा में कहीं से कुछ पत्तियां उड़कर उबलते
हुए पानी में गिर गई ! उनका सेवक थोड़ा आलसी किस्म का था तो उन पतियों को सान कर
पानी को पिला दिया ! नुंग को वह पानी पीते ही ताजगी महसूस हुई तो उनको
बुलाया ! सेवक ना डरते डरते सच बता दिया ! पर शेन नुंग बड़े खुश हुए और उनसे ऐसे
पत्ते ढूंढने का हुक्म दिया ! इस तरह से ऐसे पहले शख्स बने जिन्होंने आफ्टरनून
टी का स्वाद चखा !
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चीनी बौद्ध भिक्षु लु यु { 733 – 804 } ने तान शासनकाल के दौरान
पहली बार चाय का दस्तावेजीकरण किया !
इसमें उन्होंने ने सिर्फ चाय के प्रकारों के बारे में बताया,
बल्कि बनाने के तरीके और चाय की फिलॉसोफी
पर भी लिखा ! सुंग शासनकाल 960 से 1280 वर्ष के दौरान चाय
को लेकर कई तरह की कृतिया लिखी गई ! कलाकारों और दाता शनि को ना चाहे के कलात्मक
दार्शनिक और भावात्मक पहलुओं को उजागर किया ! और चलते-चलते यह भी जान लेते हैं की
आखिरी लिस्ट टीके से अस्तित्व में आई !
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