Saturday, January 26, 2019

Rani-padmavati-ki-kahani | पद्मिनी संबंधित विवाद का कारण

Rani-padmavati-ki-kahani | पद्मिनी संबंधित विवाद  का कारण

rani-padmavati,rani padmavati ki kahani,#ranipadmavati,rani padmavati ka johar,rani padmavati ka history,padmavati ki kahani,rani padmavati story history in hindi

आप सभी लोगों को पता ही होगा कि चित्तौड़ के राजा रतन सिंह की रानी पद्मावती के बारे में विभिन्न प्रकार के मत है लेकिन इसमें भी अलग-अलग प्रकार के रहस्य छुपे हैं ! आप भी इस बात से हैरान हैं की इसका सही  इतिहास क्या था  क्या इतिहास में वर्णित सारी घटना काल्पनिक है नहीं तो सभी सही हैइन सारे सवालों से आप को भी इनके इतिहास का रहस्य सही तरह से समझ में नहीं आता होगा ! लेकिन आज आपको इस इतिहास के रहस्य को स्पष्ट रूप से आपके सामने दे रहे हैं इससे आपको इस  रहस्य की सही जानकारी मिलेगी !

Rani-padmavati-ki-kahani

हमें उम्मीद है, कि आपको इस पोस्ट को अच्छी तरीके से पूरा पढ़ने के बाद इनके इतिहास का रहस्य सही तरीके से समझ में आ ही जाएगा ! लेकिन आप इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यान से पढ़िए –

Rani-padmavati-ki-kahani | पद्मिनी संबंधित विवाद  का कारण



  1. padmavati story in hindi Wikipedia
  2. rani padmavati ka itihas
अमीर खुसरो के उपरोक्त वर्णन में कई रानी पद्मावती संबंधित कहानी का उल्लेख नहीं मिलता  है ! 1540 ईस्वी में मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना की ! इस रचना में जायसी ने लिखा है कि अल्लाउद्दीन द्वारा चित्तौड़ पर आक्रमण का मुख्य कारण राजा रतन सिंह की सुंदर पत्नी पद्मावती को प्राप्त करना था ! जायसी के अनुसार जब अलाउद्दीन ने पद्मावती की सुंदरता के बारे में सुना तो उसने राणा रतन सिंह से पद्मिनी को उसके पास भेजने के लिए  कहा ! राजा रतन सिंह द्वारा प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने पर अलाउद्दीन ने चित्तौड़ को घेर लिया ! सफलता ने मिलने पर सुल्तान ने रतन सिंह को कल वाया की पद्मिनी का प्रतिबिंब उसे दिखा दिया जाए तो वह वापस लौट जाएंगे ! इसके लिए राजा रतन सिंह तयार हो गए - प्रतिबिंब दिखाने के बाद जब सुल्तान लौटने लगा तो उसने धोखे से राणा रतन सिंह को बंदी बना लिया  तथा पद्मिनी के बदले उस से मुक्त कराने का प्रस्ताव राजपूतों के समक्ष रखा ! पद्मनी  और गोरा और बादल के साथ लगभग 1600 सो राजपूतों,जो पालकी के वाहको  के रूप में थेदिल्ली गए एवं राणा को छुड़ा लिया ! गोरा इस अभियान में वीरगति को प्राप्त हुआ ! बाद में कुंभलगढ़ के राजा देव पाल के साथ युद्ध में रतन सिंह की मृत्यु हुई एवं पद्मावती सती  हो गई !  कालांतर में सुल्तान ने चित्तौड़ पर पुणे आक्रमण किया एवं उस पर अधिकार कर लिया !

rani-padmavati,rani padmavati ki kahani,#ranipadmavati,rani padmavati ka johar,rani padmavati ka history,padmavati ki kahani,rani padmavati story history in hindi

उपयुक्त वर्णन के विषय में विधानओं की अधिकतम मतभेद है ! प्रो.हबीब ,प्रो.निजामी  .डॉक्टर कानूनगो.डॉ ओजा आदि ! इस वर्णन को काल्पनिक मानते हैं ! इन  विद्या नो का विचार है कि यदि ऐसा वास्तव में हुआ होता तो अमीर खुसरोचित्तौड़ की अभियान के समय स्वयं वहां पर था ! उसने भी इस विषय में लिखा होगा उसने इस विषय में ऐसा कुछ वर्णन नहीं किया ! तात्कालिक अन्य इतिहासकार बरनी,  इसामी व  इब्नबतूता भी इस विषय में मौन हैकिंतु परवर्ती फारसी लेखक फरिश्ताअबुल फजल ने इस घटना का वर्णन किया है ! इस आधार पर  कर्नल टॉडडॉक्टर ईश्वर प्रसादडॉ दशरथ शर्मा आदि प्रधानों ने जायसी के उक्त वर्ण को सही माना है !  डॉक्टर आशीर्वाद लाल  जायसी के वर्णन को प्रमाणित मानते हैं ! उन्होंने लिखा हैडॉ ओझा डॉ. के. एस. ,  अन्य लेखकों का यह कथन है की यह कहानी केवल जायसी की मन गणन थी सत्य तो यह है की जायसी ने प्रेम काव्य रचना की और उसका कथानक खुसरो के खजाना ए उल्फत उसे लिया है ! पद्मावत में वर्णित प्रेम कहानी के ब्यूरो की अन्य घटनाएं कल्पित है किंतु काव्य का मुख्य कथानक सत्य प्रतीत होता है !

  • Rani-padmavati-ki-kahani | पद्मिनी संबंधित विवाद  का कारण

Rani-padmavati-ki-kahani

इसके विपरीत प्रों हबीब , निजामी ने लिखा है कि डॉ. k.s. लाल ठीक कहते हैं  कि पद्मावत से पूर्व की उपलब्ध किसी पुस्तक में इस अज्ञान का उल्लेख नहीं मिलता है !  फरिश्ता के फारसी लेखको जिन्होंने पद्मावती की कथा सुनी थीउनने  ऐतिहासिक तथ्यों को जोड़ने का प्रयास किया है !  राजपूत  भाटो नेजो उसे समझ सकते थेकिंतु जो दिल्ली का थोड़ा भी  इतिहास जानते थेउसे पसंद किया और ऐतिहासिक तथ्यों की विषयस्तुति की !  राजस्थान इतिहास के महान विधान डॉ.गौरीशंकर हीराचंद ओझा  ने विस्तार से इस आख्यान की वास्तविक  असंभाव्यता की व्याख्या की है !  डॉ दशरथ शर्मा ने इस बात से सहमत नहीं है उन्होंने राजस्थान इतिहास  परिषद के अध्यक्ष भाषण में इस वर्णन को प्रमाणित करने का प्रयास भी किया ! उन्होंने कहा यह केवल साहित्य कल्पना नहीं है ! जो लोग इस मलिक मोहम्मद जायसी के मस्ती की सूज- बूज मानकर काल्पनिक समझते हैं वह भूल सकते हैंक्योंकि इस जायसी के महाकाव्य से वर्ष पहले सीता-चरित्र में भी पद्मिनी की कहानी को लिपि बंद किया गया था !



 इस विषय में निश्चित रूप से कुछ भी कहना कठिन है,आपको इस विषय में और शोध कार्य के करने के उपरांत ही किसी निर्णय पर पूछा जा सकता है !  लेकिन आज आपको इस पोस्ट में डॉ दशरथ शर्मा के मत  से पता चल चुका होगा !  की यह  कोई कल्पना नहीं हैयह सच और सही है जो मलिक मोहम्मद जायसी ने अपने ग्रंथ पद्मावत में लिखा है !
 =========================
Reletade-padmavati ki aatma,#padmavati fort,rani padmavati picture,#rani padmavati ki katha,rani padmavati video,padmavati ki aatma,#padmavati full movie,rani padmavati,padmavati ka bhoot,padmavati mahal Chittorgarh,#rani padmavati mahal image,rani padmavati real photo,#chittod ki rani padmini ka johur,rani padmavati ka video,padmavati full movie,rani padmavati in hindi video,rani padmavati picture,rawal ratan singh son,#rawal ratan singh death,raja ratan singh wife,rawal ratan singh and maharana pratap relation,#samarasimha ratnasimha,raja ratan singh in hindi,rani Padmini,chittod ki rani padmini ka johur cast,
rani padmavati,rani padmavati story in hindi pdf,rani padmavati story in english pdf,#chittorgarh fort,padmavati ki kahani,,padmavati katha,rani padmini ki jivani,chittod ki rani padmini ka johur,rani padmini photos,rani padmavati ka janam kab hua..

0 comments: