Friday, December 28, 2018

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Output devices in hindi.

Output devices : आउटपुट डिवाईस –


1.       Monitor : मॉनिटर –2.       Printers ; प्रिंटर्स –3.       Graphics plotter : ग्राफिक्स पलोटर –
4.       Secondary storage devices : सेकेंडरी स्टोरेज दिवाइस –5.       Floppy disk : फ्लोपी डिस्क –6.       Magnetic tape : मेग्नेटिक टेप –7.       Optical disk : ओपटिकल डिस्क –8.       Paper tape पेपर टेप –9.       ROM,RAM,Bits,and Bytes : रोम,रेम,बिट्स और बाईट्10.   Storage media : स्टोरेज मिडिया –

इन सभी को एक-एक कर के विस्तार से जानेगे –

1. Monitor : मॉनिटर – कंप्यूटर मोनिटर , स्क्रीन या VDU { विज्युवल डिफ्ले यूनिट } साधारण output devices है ! यह TV स्क्रीन के समान है ! यह एक विंडो की तरह कार्य करता है ! जो कुल सुचना का एक भाग प्रदशित करता है ! साधारणत: मोनिटर 25 पंक्तिया प्रदशित करते है और प्रयेक पक्तिय में 80 अश्रर होते है ! Profft: लाभ – सस्ते होते है , कलर की रेज में टेक्स्ट व ग्राफिक्स को प्रदर्शित कर सकते है ! ये पेपर को खराब नही करते है !

 Loss: हानि – परमानेंट कोपी नही रखते है और visual problems के साथ यूजर के लिय उचित नही है ! स्किन का आकार इंचो में मापा जाता है ! प्रसिद्ध आकार 15 इंच { 38 cm } और 17 इंच { 43 cm } है !

 2.       Printers ; प्रिंटर्स – प्रिंटर output device के लिय उपयोग किया जाता है ! प्रिंटर output की हार्ड कोफ़ी देता है ! जी बाद में रेफरेंस के लिय store किया जा सकता है ! यह बाजार में विभिन्न प्रकार के प्रिंटर उपलब्ध है !

Classifying printers : प्रिंटर को निम्नलिखित आधार पर वर्गीक्रत किया जाता है !

  • speed: गति – प्रिंटर एक समय में एक अक्षर प्रिंट कर सकता है ! ऐसे प्रिंटर सीरियल प्रिंटर कहलाते है ! या एक लाइन को प्रिंट कर ते है ! कुछ ग्रह computer के लिय पिरिन्टर एक मिनट में 800 अक्षर प्रिंट करता है या तेज गति से लेजिर प्रिंटर 21000 लाइन पर मिनट प्रिंट करता है !
  •    Print quality: प्रिंट क्वालिटी – प्रिंटर ड्राफ्ट या लैटर क्वालिटी का हो सकता है !

  • Draft quallty – डॉट मेट्रिक्स प्रिंटर पिन के मेट्रिक्स के द्वारा अक्षर को प्रिंट करता है ! हिय टाइम and temprectrue सन को फोलो करता है ,या डिस्प्ले को स्कोल ट्रेन पर स्क्रोल करना इत्यादि ! यही मेट्रिक्स या ग्रिड number की वेराईटी के बनाने के लिय उपयोग किया जाता है !

  • Letter quality printers – ये प्रिंटर अक्षर उत्पन करते है जो ओपिस टाईपराइटर के दवारा उन्त्पन किया जाता है ! उनके समान होते है ! ये लेटर , बैक ग्राहक के लिय अच्छी quality उन्त्पन के सकते है ! ये डॉट मेट्रिक प्रिंटर को अपेक्ष अधिक महंगे होते है !

  •        Printing method: प्रिंट करने की विधि – प्रिंटर या टो इम्पेक्ट प्रिंटर या नो इम्पेक्ट प्रिंटर हो सकता है ! एक इम्पेक्ट प्रिंटर में हेमर तकनीकी का पयोग किया जाता है ! इसमे प्रिंटर का हेड रिबन पर स्ट्रीक करता है ! जिसमे पेपर पर output प्रिंट होती है जैसे की कोई टाईपराइटर करता है !
  •       Impact printers – यही पर विभिन प्रकार के इम्पैक्ट प्रिंटर होते है – चैन,बैण्ड,ड्रम,मेट्रिक और व्हील ! यह अंतर इनमे ईस आदर पे किया जाता है की पेपर पर type element क्या ट्रांसफर करता है !
  •   Chain printers: चैन प्रिंटर – इस प्रिंटर के प्रिंट में चेन करेक्टर का सन्गठन होता है ! जैसे की साईकिल की चैन ! प्रतेक स्थति में हेमर होते है और जब अक्षर प्रिंट करते तो चैन स्ट्रैक करते है ! जी पेपर रिबन के विरित होते है ! इस प्रिंटर का लाभ यह है की चैन को विभिन प्रकार के फोर्म्तेस या स्टेलो के लिय बदल जा सकते है !
  • Band printers: बैण्ड – हिय एक लाइन प्रिंटर है जी 3000 लाइन पर सेकंड में प्रिंट करता है! इसमे एक बेड होता है जो बहुत तेज गति से घूमता है ! प्रतेक प्रिंट की स्थति पर हेमर होता है जो एक चिन्ह पर स्टोक करता है !
  •    Drum printers: ड्रम प्रिंटर – यह एक लाइन प्रिंटर है जिसमे एक सिलेण्ड ड्रम होता है और इसकी सतह पर उभरे हुए अक्षर होते है ! ड्रम के चारो और प्रतेक अक्षर 64 विभिन्न अक्षरों का सगठन होता है ! प्रिंटर इसे प्रिंट करने में सक्षम होते है ! बैण्ड की सख्या की सख्या के बराबर होती है !
  Non impact printr: नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर – ये प्रिंटर अक्षर को पेपर पर स्ट्रीक नही करते है ! इसिलिय ये इम्पैक्ट प्रिंटर से कम आवाज वाले होते है , क्योकि ये केवल कुछ ही घुमने वाले भाग रखने है ! ये सामान्य से अधिक विश्वसनीय होते है ! ये 6 प्रकार का होता है ! इलेक्ट्रॉनिक स्तेंतिग , मेग्नेटिक , इक जेट , जेरोग्रफिक लेजर और थर्मल !  

  • 3.       Graphics plotter : ग्राफिक्स पलोटर –फ्लेट बेड फ्लोटर पेपर पर कलर इक पेन के साथ पेपर पर डा करने के लिय उच्च मोटर्स का उपयोग करता है ! मोटर्स X-दिशा में पेपर के साथ-साथ एक भुजा मूव करता है और एक पेन यूनिट ऊपर और निचे Y-दिशा में घुमती है ! एक एलेक्तोमेग्नेतिक पेपर पर पेन ड्राप करती है !

फ्लोटर कई बार विझान और इंजीनियरिंग एप्लीकशन में भवन निर्माण फलन ,प्रिंटर  सर्किट बोर्ड और मशीन पार्ट्स को बनाने के लिय जाते है ! ये fast और शु वेव्स्थित है लेकिन महंगे होते है !
Plotters:पलोटर -ये ग्राफ या चित्रों को बनाने के लिय उपयोग किय जाते है ! फ्लोटर दो प्रकार कर होते है ! 1. पेन फ्लोटर 2. इलेक्ट्रोस्टेटिक फ्लोटर
पेन फ्लोटर एक इक पेन रखते है जो इमेज को ड्रा करने के लिय होता है ! और इलेक्ट्रोस्टेटिक फ्लोटर एक लेजर प्रिंटर के समान कार्य करता है !
 

4.       Secondary storage devices : सेकेंडरी स्टोरेज दिवाइस –computer की primary memory { RAM } का स्वभाव volatite परिवर्तनीय होता है ! इसिलिय secondary memory होती है ! कुछ secondary storage उपकरण निचे दिय गये है !

·         Floppy disk : फ्लोपी डिस्क – floppy डिस्क एक इसी पतली disk होती है जिस पर चुम्ह्कीय पदार्थ लेपा जाता है या उसकी coating की जाती है , और इस disk को लचीला और रक्षक jacket में डाला जाती है ! floppy में data या सुचना को tracks और sectors में store किया जाता है !
ज्यादातर floppy के आकार का परिमाण 3.5 inch होता है ! लेकिन पुराणी floppy के आकर का परिमाण 5.25 inch होता है ! 3.5 inch की डबल sided high density disk 1.44 MB सुचना या data को store कर सकती है ! एक बार data को floppy पर store करने के बाद उसेwrite protected किया जाता है ! उसके लिय floppy पर एक tab को click करना पड़ेगा !यह करने से floppy में कोई नया data ना तो store होगा और ना ही पुराना data delete होगा !
 ·         Magnetic tape : मेग्नेटिक टेप –यह record करने का माध्यम है जो पतली tape से बना है , और उसकी सतह पर चुम्बकीय पदार्थ का लेप है ! यह analog और digital data को record करके के कम में आती है ! data को टेप की चोडाइ के अनुरूप frames में store किया जाता है ! इन frames को मिलाकर blocks या रिकार्ड्स बनते है ! जो एक – दुसरे से थोड़ी-थोड़ी दुरी पर होते है ! एक audio cassette की तरह mangnetic tapc भी एक serial access medium की तरह कार्य करता है ! इसलिय data को जल्दी से locate या निर्धरित नही किया जा सकता है !
 

5. Optical disk : ओपटिकल डिस्क – optical disk की सतह पर एक के बाद एक spiral pits बने होते है ! master disk को intensity laser से bit pattern में बर्न किया जाता है और उसकी copies बना ली जाती है जिन्हें optically, laser से पढ़ा जा सकता है !

Optical disk एक random access storage medium होती है ! disk के किसी भी कोने से सुचना को पड़ा जा सकता है ! एक standard CD-ROM लगभग 650MB data store कर सकती है और उसमे 14,500 trackers per inch होते है !
CD-ROM का full form है compact disk read only memory अब एसी CD-ROMS बनाना सम्भव हो गया है की जिसमे extra, trackes,user के लिय दी गई हो जिसमे user अपने आप सुचना डाल सके ! यह CD-ROMS read / writable CD ROM,s कहलाते और बहुत प्रशिद अपने सस्ते storage के तरीके से !

 CDs format में उपलब्ध होती है !

CD-ROM;- ROM का मतलब होता है read only memory और इसका मतलब है की आप disk से केवल पढ़ सकते है पर data को write या store नही कर सकते ! यह सबसे आम CD है जो market में उपलब्ध है और इसी तरह ज्यादातर software programs बिकते है !

 6.       Paper tape पेपर टेप –यह इस तरह का storage माध्यम था जो पुराना जमाने में बहुत प्रसिद था , पर  इसे इस्तेमाल करने के ज्यादा storage space की जरूरत थी यह बहुत time consuming भी था ! हार्ड disk और दुसरे storage devices के आने इनका इस्तेमाल बंद हो गया !

7.     ROM,RAM,Bits,and Bytes : रोम,रेम,बिट्स और बाईट् –


ROM: रोम -rom का full from है read only memory यह एक  memory यह एक computer memory chip जिसमे permanent या semi-permanent store होते है !
लगभग हर computer में थोड़ी ROM आती है जिसमे boot firmware होता है ! इसमे पर्याप्त सुचना होती है ,जिसमे कंप्यूटर अपने hadware को check करता है और doperating system को ram में ROM में road करता है ! एक pc में boot firmware को BIOS कहा जाता है !
असलियत में रोम read only थी ! ROM के कुछ version उसमे बदलाव की सभावना प्रदान करते है ! इसलिय हम सामान्यत firmware जैसे की BIOS को software install करके Upgrade कर सकते है ! rewritable ROM chips कई प्रकार की है !

 RAM क्या है ! { what is ram } –

 Ram का full form है random access memory ,RAM वो जगह है ,जहा आपका computer temporarily operating system application program और वर्तमान का data store करता है , ताकि computer का processor उसे तक जल्दी और आसानी से पहुच सके जब लोग आपकी कंप्यूटर मेमोरी की बात करते है तो वो ज्यादातर RAM में जो कुछ होगा वह खत्म हो जाएगा !
Desktop computer में सामान्यत 16 या ज्यादा Mb की RAM आती है ! अगर आप Graphic application उपयोग करते हैं ! टो आपकी memory 32 या 64 Mb की होनी चाहिय ! ज्यादातर personal computer इसी तरह design किए गए है की user एक से जादा RAM अपनी motherboard पे लगा सके !
अगर आप अपने computer में ram जोड़ते है टो आप प्रोक्र्स्सर को बार – बार hard disk से data को read करने की जरूरत कम करते है ! virtual memory इसमे आपका computer और भी तेज चलता है ! ram भी volatile है इसे लगातार electricity चाहिय ,ताकि ram में data तब तक store रहे जब तक computer चलता रहे ! जैसे आपने computer को बंद किया तो आप ram के अन्दर का data खोदेगे !
जब आपका कंप्यूटर फिर से on होता है तो आपके कंप्यूटर का boot firmware ROM chips में stored instruction को read करके operationg system और files को disk से read करता है और उन्हें वापस RAM में लोड करता है ! एक personal computer में ram के अलग-अलग भाग , कम या ज्यादा access करने योग्य हो सकते है !
 

8.       Storage media : स्टोरेज मिडिया – 

zip and zag drives , floppy drives की तरह होते है क्योकि हर individual disk को हम निकाल सकते है ! और कही भी ले जा सकते है ! पर ये drives ज्यादा data store करते है ! { लगभग 100 MB से 2 GB } ! 
Digital versatile disk { DVD } -


ज्यादा memory और high quality चित्रों को store करने की क्षमता की वजह से डीवीडी,CD,drives की जगह computer जगत में ले रही है ! एक single sided ,single layer,DVD 4.7 GB data store कर सकती है जो की 26 CD-ROMs के बराबर है ! इसका मतलब है की full motion की फिल्मे जिसमे sound tracks ,subtitles है जो हम अलग-अलग भाषाओं में एक ही DVD disk में store कर सकते है !
 एक फिल्म जो DVD में स्टोर है और दूसरी जो magnetic VHS Video taps में स्टोर है तो दोनों के बिच में अन्तर  हिय होगा की DVD में digital images और sound trackes की गुणवता बहुत उची high होगी ! और बराबर इस्तमाल करने पर खराब भी नही होगी !

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