Wednesday, September 26, 2018

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राजस्थान में वनों के प्रकार ⇰

1 . शुष्क सागवान वन प्रदेश 

यह वन राज्य के दक्षिणी भाग में बांसवाड़। वन विभाग के अन्तर्गत लगभग . 5200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत है । ' इस वन प्रदेश में, साधारणतया सागवान के जंगल माये जाते हैं लेकिन चित्तोड़गढ़, उदयपुर और बारां के वनों में सागवान के वृक्ष अन्य वृक्षों के साथ  मिश्रित किस्म से भी पाये जाते हैं । पश्चिमी अरावली मेंसागचान क्री उत्तरी ' सीमाएं उदयपुर में 24०42' उत्तरी अक्षांश और क्रोटा जिले में 25,12' उत्तरी अक्षांश है ।

जहां सागवान के बृक्ष पाये जाते हैँ उन क्षेत्रों की ऊंचाई 245 मीटर से लेकर 490 मीटर के बीच में है । वृक्षों की ऊंचाई 9 मीटर से 13 मीटरं के बीच है । यह वन फर्नीचर व्  मकान निर्माण के लिये इमारती लकड्री तथा छतों व घेराबन्दी के लिये लट्ठे प्रदान करते हैँ ।

बडे वृक्षों के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की झाडियाँ और घासें भी इस प्रदेश में मिलती हैं । वनों कै भीतरी भागों में कुछ भूमि खण्डो पर जहॉ अधिकनमी होती है, बांस पाये जाते हैँ, इन क्षेत्रों में अविवेकता पूर्ण कटाई के कारण केबल लट्ठे व झाडियों का अस्तित्व ही मिलता है ।

2.उत्तरी उष्णकटिबधिय शुष्क पतझड़  वन 

 यह वन लगभग 26,418 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं । अरावली श्रेणी के जिन क्षेत्रों की ऊँचाई 27० मीटर से 77० मीटर है, उनके दक्षिणी-पूर्वी भागों पर मुख्य रूप से उदयपुर एवं बांसवाडा में यह वन पाये जाते हैं 1 धोकड़ा वृक्ष शुष्क गर्म प्रदेश का वृक्ष है 1 वृक्ष की औसत ऊँचाई 6 मीटर से 7.5 मीटर के बीच है लेकिन जहाँ मिट्टी गहरी और जल आपूर्ति अच्छी है व्रहाँ इनकी ऊँचाई लगभग 14 मीटर तक पहुँच जाती है । इस क्षेत्र की औसत वर्षा 5० सै.मी. से 1 ०० सेमी; है 1सामान्य रूपसे पाई जाने वाली किस्सों मेँ आम, तेन्दू बबूल, बरगद, गूलर, खैर, नीम तथा अन्य वृक्षों में बहेड्रा, धमन, खिरनी, सेमल व टिमरू मुख्य हैँ \ पहाड़ियों पर बास, आँवला, ओक, धोरवकरौंदा मुख्य हैं 1 धोकड्रा वृक्ष क्री लकडी से कृषि के औजार बनाये, जाते हैं । खैर से कत्था, खिरवी से खिलौने तथा तेंदूसे बीड्री बनाई जातो है ।

 3 मिश्रित पतझइ वन 

  यह वन उदयपुर में आमतौर से तथा कोटा राजसमन्द, बून्दी, चिसौड़गढ़ और सिरोही के कुछ भागों मे' मिलते हैं । ये वन लगभग्र 900० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र मे विस्तृत हैँ 1 राज्य के इस भाग में औसत वार्षिक चर्या लगभग 35 सेमी. है और तापक्रम की विषमताएं शीत ऋतु में निग्नतम तापक्रम 1० से. से ग्रीष्म कच में 46 से. के बीच मिलती है 1 ये वन 7०० मीटर से 12०० मीटर की ऊँचाई वाले क्षेत्रों " मे' मिलते हैं 1 सामान्य रूप से मिलने वाले वृक्ष धोकडु। बरगद, मूलर आम जामुन बबूल व खैर आदि हैं 1 इन वनों से प्रात लकडी का उपयोग इमारती लकडी के रूप में धोड़ा तथा ईथेन व काठ कोयलों के लिये अधिक कियावृजाता है !

 4.सालार वन 

 यह वन अलवर,चित्तीड॰गढ़, उदयपुर, सिरोही, अजमेर, जोधपुर और जयपुर आदि जिलों में लगभग 10,360 वर्ग किलामीटर के क्षेत्र पर " ' मिलते हैं । -वृक्ष अथिक्रांशत ८ अरावली कतको के ऊपरी दालों पर पाये जाते हैं । वार्षिक वर्षा इन क्षत्रों में 5० सेमी. से 1०० सेमी. के बीच होती है । ये वृक्ष 43० मीटर या इससे अधिक की ऊंचाई पर उगते हैं । फ्लो ऊँचाई लगभग 12 मीटर से 15 मीटर तक होती है । वृक्ष सामान की पैकिंग के लिये उपयुक्त लकही प्रदान क्यो हैं शाइरी मिट्टी वाले क्षेत्रों में घासें काफी घनी होती है ।


5 ढाक या प्लास वन 

यह वन सभी नदी घाटियों में जहाँ सागवान के वृक्ष माये जाते हैं, ये मुख्य रूप' से मिलते हैं । सामान्यतया बहेडा, महुआ, सफेद सिरिस, कांबा, मूलर व पारस पीपल आद्वि के वृक्ष माये जाते दँ । क्त क्यों के अंतर्गत राज्य के कुल वन'क्षत्र की तुलना में नगण्य क्षत्र डी शामिल है । '

6 उष्ण कटिबधिय कांटेदार वन 


ये कांटेदार वन मुख्य रूप से जोधपुर, बीकानेर, बाडमेर.अजमेर, जयपुर, दीसा, झून्मुवृं, नागोर आदि जिलों के है मैदानों मे निम्न पहाडी ढालों एवं ऊबड-खाबड भूमियों पर पाये जाते है ।
जहाँ औसत वर्षा लगभग 25 सैमी. से 5० सै.मी. के बीच होती है । रेतीली भूमि थ शुष्क जलवायु के कारण इस क्षेत्र के पौधे सूखे और झाडी युक्त हैं । खेजड़ा, रोहिड़ा, बेर, जाल, कँटीले बबूल, केर आदि मुख्य वृक्ष है ।  वनों सै ढके क्षेत्रों मॅ घास की बिधि-न जातियां पाई जाती हैं, जिनकी वृद्वि यही अच्छी है । इस भूभाग का मुख्य वृक्ष खैजड़ा यहा उश्योगे है । इसकी लकडी ईधन के लिये और काठ कौफ्ता मनाने के काम मे' लामी जाती है । इन वनों से र्गोंद्ध चमड़ा रंगो वाले पदार्थ, चीक्यों के चरि के तिथे पेडो  की पत्तियों तथा रीठा दि प्राप्त किये जाते ई ।

. 7. उपोष्ण कटिवंधीथ सदाबहार .

यह वन आबुपर्बत के चारों तरफ का लगभग 32 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र जौ 1,०7० मीटर से 1,375 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, इन वनों के अंतर्गत आता है । इस क्षेत्र में वार्षिक वर्षा 15० सेमी. हैं । आथूपवंत के ढलानों  के तल के अगप-पारा पाये जाने वाले वृक्षों तथा झाडियों में बांस, आम,  आदि वन पाये जाते है \\



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