कभी ना हो दुखों का सामना, यही है आपको हमारी तरफ से
नवरात्रि की शुभकामना।
Happy
Navratrito all
मा तुमसे विश्वास ना उठने
देना
तेरी दुनिया में भय से जब
सिमट जाऊ
चारो और अंधेरा ही अंधेरा
घना पाऊ
बनके रोशनी तुम राह दिखा
देना
🙏🙏प्रेम से बोलो जय माता दी 🙏🙏
🌹🍁🌼🌺🌻🌷🌸
नव दिप जले
नव फूल खिले
रोज नई बहार मीले
नवरात्रि के इस अवसर पर
हम सबको माता रानी का
आशीर्वाद मीले 🙏जयबोलो अम्बे माता
की.....जय
.....🙏
नव दिप जले
नव फूल खिले
रोज नई बहार मीले
नवरात्रि के इस अवसर पर
हम सबको माता रानी का
आशीर्वाद मीले 🙏जयबोलोअम्बेमाताकी.....जय
.....🙏
नव कल्पना, नव ज्योत्सना
नव शक्ति, नव आराधना
नवरात्रि के पावन पर्व पर
पूरी हो
आपकी हर मनोकामना। 🙏🙏
सारा जहां हैजिसकी चरण में,
नमन है उसके चरणों में
हम है उस मां के चरणों का
धूल
आओ सब मिलकर मांको
चढ़ाएं श्रद्धा का फूल।।
Happy Navratri......
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏
कुमकुम भरे कदमों से आए
माँ दुर्गा आपके द्वार,👣👣👣
सुख संपत्ति मिले आपको
अपार,💰💰
मेरी ओर से नवरात्रि की
शुभ कामनाएँ करें स्वीकार!😊🙏
Happy navratri to all
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गोल होने पर धरती हमेशा
सपाट क्यों दिखती है - prithvi gol hai ya chapati
हां, हम
सभी बुद्धिमान वयस्कों को आसानी से समझा सकते हैं कि पृथ्वी सपाट क्यों दिखती है, जब यह वास्तव में गोल है। लेकिन मेरा सवाल यह है कि हम
इस तथ्य को कैसे समझा सकते हैं, कि
पृथ्वी गोल है,
उन लोगों के लिए जो
नए डेटा को स्वीकार नहीं करेंगे, जो
उनके ज्ञान का खंडन करते हैं, उन्हें
कुछ उचित तथ्य प्रदान करके?
तो
दोस्तों आइए जानते हैं - इसके बारे में
पूरी पड़ताल करते हैं इस रिपोर्ट में -
लेकिन
वीडियो शुरू करने से पहले आप से गुजारिश है कि अभी तक चैनल को सब्सक्राइब नहीं
किया तो सब्सक्राइब करके बैल आइकन दबा दीजिए -
गोल होने पर धरती हमेशा सपाट क्यों दिखती है - prithvi gol hai ya chapati
यदि पृथ्वी चपटी है, तो ऐसे देश अवश्य
होंगे जो किनारे पर रहते हैं, सचमुच। इस दिन और
उम्र में, हमने कोई वीडियो क्यों नहीं
देखा है ये शानदार साइटें?
हमने किसी भी दुर्घटना के बारे में क्यों नहीं सुना एक व्यक्ति नशे में धुत हो
गया और किनारे से गिर गया -
यह भी: हमारे पास क्यों है? महासागर के? यदि कोई किनारा होता, तो पानी किनारे से बह जाता और जल्द ही सब खत्म हो जाता (या हिंसक रूप से
पृथ्वी के दूसरी तरफ स्थानांतरित होता)। हम इसे या तो नहीं देख रहे हैं।
उस व्यक्ति के साथ एक विमान में उड़ान भरें। पर्याप्त ईंधन
के साथ एक दिन आप लोग उस स्थान पर पहुंच जाएंगे जहां आपने शुरुआत की थी। इससे
साबित होगा कि पृथ्वी गोल है।
पहले एक सर्कल के बारे में सोचें। इसलिए यदि आप पूरे वृत्त को देखते हैं तो आप इसे गोल के रूप में देखते हैं। अब बस उस सर्कल के एक छोटे हिस्से में ज़ूम करें। अब आप पूरे cricle को और अधिक नहीं देखते हैं। लेकिन फिर भी आप एक वक्रता देखते हैं। इसी तरह आप साइरस को बड़ा कर रहे हैं और उसी बिंदु पर गौर कर रहे हैं। जब वृत्त को एक बिंदु और अगले बिंदु के बीच का अंतर बड़ा हो जाता है (कम हो जाता है) अब 1000 किमी के स्केल में सोचें
गोल होने पर धरती हमेशा सपाट क्यों दिखती है - prithvi gol hai ya chapati
सभी भौतिक वस्तुएँ अन्य सभी भौतिक वस्तुओं पर गुरुत्वाकर्षण
बल लागू करती हैं। पृथ्वी परमाणुओं, अणुओं
आदि से बनी है, ये सभी घटक कण एक दूसरे पर बल लगाते हैं।
यदि पृथ्वी बेलनाकार हो जाती है तो क्या होगा?
तब किनारे के पास सिलेंडर की घुमावदार सतह पर रखी सभी
वस्तुएं केंद्र की ओर गिर जाएंगी जब तक कि गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी गोलाकार
नहीं हो जाती। वास्तव में प्रत्येक प्रणाली उच्च क्षमता से निम्न संभावित स्थिति
तक जाने की प्रवृत्ति रखती है।
कुछ उल्कापिंड गोलाकार क्यों नहीं हैं?
यह केवल छोटे आकार के उल्कापिंडों का मामला है। आकार बढ़ने
के साथ उल्कापिंड अधिक और गोलाकार हो जाते हैं। छोटे आकार की भौतिक वस्तुओं में
अपना आकार बदलने के लिए पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण नहीं होता है।
ठीक है, मैं मानता हूँ कि पृथ्वी यहाँ भी गोलाकार
है |
गोल होने पर धरती हमेशा सपाट क्यों दिखती है - prithvi gol hai ya chapati
prithvi gol hai kisne kaha,prithvi gol hai sar pratham
kisne kaha,earth ka shape kaisa hai,prithvi ki aakriti kaisi hai,dharti gol hai
kisne kaha
aisa konsa
desh hai jahan raat nahi hoti,aisa konsa desh hai jaha par din nahi hota,7
suraj ka desh,suraj kaha dubta hai,5 suraj wala desh,suraj kaha se dubta hai,aisa
desh jaha suraj nahi nikalta,6 mahine din 6 mahine raat
सूरज की रोशनी या सूरज की
ऊर्जा जीवन का एक ऐसा हिसा है जिसके बिना धरती पर जिंदगी शायद नामुमकिन है| पर क्या आप यह जानते हैं कि
धरती पर एक ऐसी जगह भी है जहां सूरज उगता ही नहीं है. आज मैं आपको दुनिया के ऐसे
हिस्से के बारे में बताऊंगा क्योंकि दुनिया के इस हिस्से में सूर्य के प्रकट होने
की संभावना 0 के बराबर है | इस
बारे में आप में से कई लोगों को जानकारी नहीं होगी लेकिन प्रकृति की इस अद्भुत
घटना के बारे में आपको अवश्य जानना चाहिए | इस
रिपोट में इसके अलावा मैं आपके साथ कुछ और बातें भी शेयर करूंगा|
दोस्तों आज मैं दुनिया के जिस हिस्से के बारे में बात
कर रहा हूं वह रशिया का एक शहर है. यह शहर अंधेरे में अपना जीवन व्यतीत कर रहा है
- जो आर्कटिक सर्कल के उत्तर में रहने वाले इलाकों में देखने को मिलती है| रसिया के उन शहरों में से एक
है जो आर्कटिक सर्कल पर मौजूद हैं. ...
एक बार आप सोच कर देखिए कि कुछ समय के लिए अंधेरा हो
जाने पर आम लोग और जीव जंतुओं कितने परेशान हो जाते हैं लेकिन जो लोग उन पर क्या
बीती होगी | करीब तीन लाख की आबादी
वाले यह शहर वैसे तो रूसी साम्राज्य के दौर का है लेकिन आर्कटिक सर्कल पर मौजूद
होने के कारण हर साल 2 दिसंबर से 11 जनवरी के बीच यहां के लोग पोलर नाइट्स की ठंड
में रहने को मजबूर हैं | इस
समय यहां जाने वाले पर्यटकों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. बेहिसाब ठंड
और ठीक से नींद न आने के कारण उनकी तबीयत भी खराब हो जाती है | जरूरत के हर सामान के लिए 40
दिनों तक खूब संघर्ष करना पड़ता है फिर चाहे वह खाना हो, पानी हो या फिर कुछ और हो | इस दौरान यहां लोग मछली पकड़ने
का लुफ्त उठाते हैं |
जब दिसंबर से लेकर जनवरी तक जहां पर पोलर नाइट्स जारी
रहती है यहां सूरज नहीं निकलता है और यहां रात रहती है| आर्कटिक सर्कल वह क्षेत्र है
जहां सूर्य मई और दिसंबर के बीच लगातार 24
घंटे
के लिए होराइजन के ऊपर या नीचे रहता है | आर्कटिक
सर्कल का सूरज एक बार लगातार और होरिजन के ऊपर रह सकता है यानी कि इस दौरान सूर्य
अस्त नहीं होता है इस वक्त में 24 घंटे
दिन ही रहता है और ठीक इसी तरह सूर्य साल के कुछ दिनों में होरिजन के नीचे रहता है
तब वहां 24 घंटे रात ही रहती है| इन दिनों Murmansk रशिया शहर अपने Polar Nights से बाहर आ चुका है वहां
लोग अपना जीवन सामान्य रूप से जी रहे हैं परंतु आज हम आपको बताएंगे कि पोलर नाइट्स
के दौरान इस शहर के लोग अपना जीवन कैसे व्यतीत करते हैं |
पोलर नाइट्स के दौरान यहां लोगों की दिनचर्या बदल
जाती है . हर समय रात होने की वजह से यहां पर रहने वाले लोगों को समय का पता ही
नहीं चलता और कभी कभार घड़ी होने के बावजूद समय का पता लगाना मुश्किल हो जाता है | इस समय में यहां के लोग घर को
सुबह वाली फिल देने के लिए अलग-अलग तरह की लाइटें और हल्के रंग के परदे लगाए जाते
हैं और घर के सोफे, चादर
आदि चीजों का रंग भी ऐसा रखा जाता है कि घर में अंधेरा का एहसास ना हो | घर में लोग कुछ ऐसे पौधे भी
लगाते हैं जिनकी महक से घर में गर्मी का एहसास होता है | यह प्राकृतिक घटना दूर से
देखने पर भले ही खूबसूरत लगती हो लेकिन उन लोगों के बारे में सोचिए जो दुनिया के
ऐसे हिस्सों में रहते हैं जहां पोलर डेज के दौरान 22 मई से लेकर 23 जुलाई तक सूरज
डूबने से इंकार कर देता है और जहां 2 दिसंबर से 11 जुलाई के बीच सूरज उगने से
इंकार कर देता है |
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एलीयन क्या है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है ? - kya-alien-hote-hai ?
क्या परग्रही/एलीयन पृथ्वी पर आते है?
क्या वे पृथ्वी पर फ़िल्मों मे दिखाये अनुसार आक्रमण
कर सकते है?
क्या एलीयन/परग्रही जीवो का अस्तित्व है ?
तो आएये जानते है ..
नमस्कार दोस्तों – आप देख रहे है .. रहस्य hindi टीवी
क्या एलीयन/परग्रही जीवो का अस्तित्व है ?
वर्तमान विज्ञान के अनुसार पृथ्वी के बाहर जीवन ना
पनपने का कोई कारण नही है। पृथ्वी या सौर मंडल मे ऐसी कोई विशेषता नही है कि केवल
पृथ्वी पर ही जीवन की संभावना हो।
इस विशाल ब्रह्मांड में क्या पृथ्वी के अलावा सर्वत्र
निर्जीव है ? जिन तत्वों से धरती की
चीजों का निर्माण हुआ है वे कमोबेश समूचे ब्रह्मांड में पाए जाते हैं। भौतिक
विज्ञान के जो नियम पृथ्वी की वस्तुओं पर लागू होते हैं वहीं नियम अति दूरस्थ
पिंडों के पदार्थ पर भी लागू होते हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि केवल धरती पर
ही जीवन की उत्पत्ति और विकास संभव है। ब्रह्मांड के अन्य पिंडों पर जीवन का हमसे
भी अधिक उन्नत सभ्यताओं का अस्तित्व संभव है।परग्रही/एलीयन जीवों का
भी अस्तित्व है |
एलीयन क्या है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है ? - kya-alien-hote-hai ?
दोस्तों - विडियो देखने के बाद चेंनल कोsubscribeकरना मत भुलना जी ||
क्या वे पृथ्वी पर
फ़िल्मों मे दिखाये अनुसार आक्रमण कर सकते है?
शायद नही। तारों के मध्य दूरी अत्याधिक होती है।
सूर्य के सबसे निकट का तारा प्राक्सीमा सेंटारी 4 प्रकाश वर्ष दूर है, उससे
प्रकाश को भी हम तक पहुँचने मे 4 वर्ष लगते है। प्रकाश की गति
अत्याधिक है, वह एक सेकंड मे लगभग तीन लाख किमी की यात्रा करता है।
तुलना के लिये सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुँचने केवल आठ मिनट लगते है। कई प्रकाश
वर्ष की दूरी तय करने के लिये इतनी दूरी तक यात्रा करने मे वर्तमान के हमारे सबसे
तेज राकेट को भी सैकड़ों वर्ष लगेंगे।
एलीयन क्या है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है ? - kya-alien-hote-hai ?
ऐसी लंबी यात्रा मे ढेर सारी अड़चने है, जिसमे
कई वर्षो की इतनी लंबी यात्रा मानव या किसी भी अन्य बुद्धिमान जीव के लिये आसान
नही होगी। यात्रा मे लगने वाले यान के निर्माण मे ढेर सारी प्रायोगिक मुश्किले
आयेंगी,
जैसे
इस यान मे इस लंबी यात्रा के लिये राशन, पानी, कपड़े
,
ऊर्जा
का इंतज़ाम करना होगा। यान मे कई वर्षो की भोजन सामग्री ले जाना संभव नही होगा, ऐसी
स्थिति मे यान मे ही कृषि, पेड़, पौधे
उगाने की व्यवस्था करनी होगी। विशाल यान के संचालन तथा यात्रीयों के प्रयोग के
ऊर्जा के निर्माण के लिये बिजली संयत्र का निर्माण करना होगा। यान मे वायु से
विषैली गैस जैसे कार्बन डाय आक्साईड को छान कर आक्सीजन के उत्पादन मे संयत्र
चाहीये होंगे। प्रयोग किये गये जल के पुनप्रयोग के लिये संयत्र, उत्पन्न
कचरे के पुनप्रयोग के लिये संयत्र चाहिये होंगे। इन सभी संयंत्रो के यान मे लगाने
पर वह किसी छोटे शहर के आकार का हो जायेगा। इतना बड़ा यान पृथ्वी या ग्रह पर
निर्माण कर अंतरिक्ष मे भेजना भी आसान नही है, इस आकार के यान का
निर्माण भी अंतरिक्ष मे ही करना होगा।
इतने विशाल यान का निर्माण हो भी जाये तो इस यान के
अंतरिक्ष यात्रीयों को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना होगा। यान के
अंतरिक्षयात्रीयों के दल मे हर क्षेत्र से विशेषज्ञ चूनने होगे जिसमे इंजीनियर, खगोलशास्त्री, चिकित्सक
इत्यादि प्रमुख होंगे। यदि यात्रा समय 30-40 वर्ष से अधिक हो तो इन
यात्रीयों मे स्त्री-पुरुष जोड़ो को भेजना होगा जिससे इतनी लंबी यात्रा मे नयी
यात्रीयों की नयी पिढी तैयार हो और वह इस यात्रा को आगे बढ़ाये। इस अवस्था मे यान
मे पाठशाला और शिक्षक भी चाहीये होंगे।
एलीयन क्या है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है ? - Do they come to Earth on the alien side?
लंबी यात्रा की इन सब परेशानीयो को देखते हुये यह
स्पष्ट है कि पारंपरिक तरिके के यानो से अन्य तारामंडलो की यात्रा अत्याधिक कठीन
और चुनौति भरी है। इस कठीनायी का हल है प्रकाशगति या उससे तेज गति के यानो का
निर्माण। ध्यान रहे कि प्रकाशगति से तेज चलने वाले यान भी सबसे निकट के तारे से
आवागमन मे कम से कम 8 वर्ष लेंगे, जबकि
अंतरिक्ष मे दूरीयाँ सैकड़ो, हजारो या लाखो प्रकाशवर्ष मे
होती है।
प्रकाश गति से तेज यान
प्रकाशगति से तेज यात्रा मे सबसे बड़ी परेशानी यह है
कि वैज्ञानिक नियमो के अनुसार प्रकाश गति से या उससे तेज यात्रा संभव नही है। यह
आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत का उल्लंघन है जिसके अनुसार प्रकाशगति किसी
भी कण की अधिकतम सीमा है। कोई भी वस्तु जो अपना द्रव्यमान रखती है वह प्रकाशगति
प्राप्त नही कर सकती है; उसे प्रकाशगति प्राप्त करने
अनंत ऊर्जा चाहिये जोकि संभव नही है।
एलीयन क्या है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है ? - Do they come to Earth on the alien side?
मान लेते है कि किसी तरह से सापेक्षतावाद के इस नियम
का तोड़ निकाल लिया गया और प्रकाश गति से यात्रा करने वाला यान बना भी लिया गया। इस
अवस्था मे समय विस्तार (Time Dilation) वाली समस्या आयेगी। हम
जानते है कि समय कि गति सर्वत्र समान नही होती है। प्रकाश गति से चलने वाले यान मे
समय की गति धीमी हो जायेगी, जबकि पृथ्वी/एलीयन ग्रह पर समय
की गति सामान्य ही रहेगी। प्रकाश गति से चलने वाला यान को पृथ्वी से प्राक्सीमा
सेंटारी तक पहुँचने मे 4 वर्ष लगेंगे लेकिन पृथ्वी पर
सदियाँ बीत जायेंगी।
इन सभी प्रायोगिक कारणों से एलीयन का पृथ्वी पर आना
संभव नही लगता है।
एलीयन क्या है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है ? - kya-alien-hote-hai ?
लेकिन आप को किया लगता है कमेट
बोक्स में जरुर बताये .. और हमारे चेंनल को subscribe करना ना भूले ..
महाप्रलय - ऐसे होगा प्रथ्वी का अन्त - (when will be end of the world)
प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना। प्रकृति का ब्रह्म में लय (लीन) हो जाना ही प्रलय है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड ही प्रकृति कही गई है। इसे ही शक्ति कहते हैं।
नमस्कार दोस्तों – आप देख रहे है .. रहस्य hindi टीवी
इसे ही नई – नई खोजो की जानकारी पाने और हमारे साथ जुड़ने के लिय चेंनल को सब्सक्राइब करें तथा bell icon भी दवाये – ताकि आप को latest विडियो की अपडेट मिल सकें |
हिन्दू शास्त्रों में मूल रूप से प्रलय के चार प्रकार बताए गए। पहला किसी भी धरती पर से जीवन का समाप्त हो जाना, दूसरा धरती का नष्ट होकर भस्म बन जाना, तीसरा सूर्य सहित ग्रह-नक्षत्रों का नष्ट होकर भस्मीभूत हो जाना और चौथा भस्म का ब्रह्म में लीन हो जाना अर्थात फिर भस्म भी नहीं रहे, पुन: शून्यावस्था में हो जाना। इस विनाश लीला को नित्य, आत्यन्तिक, नैमित्तिक और प्राकृत प्रलय में बांटा गया है।
जिसका जन्म है उसकी मृत्यु भी तय है। जिसका उदय होता है, उसका अस्त होना भी तय है, ताकि फिर उदय हो सके। यही सृष्टि चक्र है। इस संसार की रचना कैसे हुई और कैसे इसका संचालन हो रहा है और कैसे इसके विलय हो जाएगा। इस संबंध में पुराणों में विस्तार से उल्लेख मिलता है।
पुराणों में सृष्टि उत्पत्ति, जीव उद्भव, उत्थान और प्रलय की बातों को सर्गों में विभाजित किया गया है। हालांकि पुराणों की इस धारणा को विस्तार से समझा पाना कठिन है। इसीलिए हम ब्रह्मांड की बात न करते हुए सिर्फ धरती पर सृष्टि विकास, उत्थान और प्रलय के बारे में बताएंगे।
महाप्रलय - ऐसे होगा प्रथ्वी का अन्त - (when will be end of the world)
जब-जब पृथ्वी पर प्रलय आता है भगवान विष्णु अवतरित होते हैं पहली बार जब जल प्रलय आया तो प्रभु मत्स्य अवतार में अवतरित हुए और कलयुग के अंत में जब महाप्रलय होगा तब कल्कि अवतार में अवतरित होंगे।
कलियुग के अंत में होगी प्रलय तब कैसा होगा माहौल : श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत श्रीशुकदेवती परीक्षितजी से कहते हैं, ज्यों ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा, त्यों त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का लोप होता जाएगा।... अर्थात लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जब कलिकाल बढ़ता चला जाएगा।...
कलयुग के अंत में...जिस समय कल्कि अवतार अवतरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी। जिस समय कल्कि अवतार आएंगे। चारों वर्णों के लोग क्षुद्रों (बोने) के समान हो जाएंगे। गौएं भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएगी।...वर्षा नहीं हुआ करेगी...भयंकर तूफान चला करेंगे। कलियुग के अंत में भयंकर तूफान और भूकंप ही चला करेंगे। लोग मकानों में नहीं रहेंगे। लोग गड्डे खोदकर रहेंगे। धरती का तीन हाथ अंश अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश नष्ट हो जाएगा। भूकंप आया करेंगे।... कलियुग का अंत होते होते मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा हो जाएगा। लोग प्राय: गृहस्थी का भार ढोनेवाले और विषयी हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में धर्म की रक्षा करने के लिए सतगुण स्वीकार करके स्वयं भगवान अवतार ग्रहण करेंगे।
महाप्रलय - ऐसे होगा प्रथ्वी का अन्त - (when will be end of the world)
सूक्ष्मवेद अनुसार राजा हरिशचंद्रजी जो वर्तमान में स्वर्ग के अंदर हैं वो ही श्री विष्णुजी की आज्ञा से कल्कि नामक अवतार धारणकर आवेंगे। वे विष्णु लोक में विराजमान है जहां वे अपने पुण्यों का फल भोग रहे हैं।
महाभारत : महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सब कुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।...जल में फिर से जीव उत्पत्ति की शुरुआत होगी।
महाविनाश कब होगा जानिए : श्रीमदभागवत के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दो कल्पों के बाद सृष्टि का अंत होता है। हर कल्प में एक अर्ध प्रलय होती है। दो कल्पों का अर्थ है कि दो हजार चर्तुयुग। इसी प्रकार दूसरा कल्प पूरा होने पर प्रलय आता है यानि सृष्टि का विनाश हो जाता है। इसके बाद पुन: सृष्टि की उत्पत्ति होती है और यही क्रम अनवरत जारी रहता है।
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जानिए देश की पहली बार मेमोरियल के बारे में सब-कुछ
जिसका उद्घाटन आज करेंगे पीएम मोदी !
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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडिया गेट से कुछ दूर स्थित नैशनल वॉर
मेमोरियल को देश के नाम समर्पित करेंगे । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
साल 2 014 मे हुए लोकसभा चुनावों के दौरान एक वॉर मेमोरियल का वादा किया
था । इसके उद्घाटन के साथ ही वह सैना, वायुसेना और नौसेना के सैनिकों
सै किया अपना एक वादा भी पूरा करेंगे । भारत में यह पहला ऐसा वॉर मेमोरियल है ! जहां आजादी के बाद हुए हर युद्ध
के शहीदों के नाम दर्ज हैँ । अभी तक देश मे इस तरह का कोई भी वॉर मेमोरियल
नहीं था । जानिए भारत के लिए इस वॉरमेमोरियल की क्या अहमियत है ओर इसकी क्या खासियतें हैँ ।
इस वॉर मेमोरियल को 25,942 सैनिकों क्री याद में बनाया गया है ।
National-War-Memorial
इंडिया गेट के करीब स्थित इस वॉर
मेमोरियल पर जिन युद्ध या खास आँपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के
नाम दर्ज हैँ ! उसमें 1947-48 में गोआ
क्रांति,
1962 में चीन के साथ हुआ ! युद्ध, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के
साथ हुए युद्ध के अलावा 1987 में सियाचिन पर चले संघर्ष, 1987-1988 में श्रीलंका में
चलाए गए आँपरेशन पवन और 1999 में कारगिल युद्ध के शहीदों के नाम दर्ज हैँ । इसके अलावा कुछ और आँपरेशन
जैसे आँघरेशन रक्षक के बारे में भी यहां पर जानकारियां और इसमें शहीद हुए सैनिकों
के नाम दर्ज हैँ ।
इस मेमोरियल को तैयार करने मे करीब 50 0 करोड़ रुपए क खर्च आया है ! और
अगर अमेरिकी डॉलर में इसकी तुलना करें तो यह राशि 7 0 मिलियन डॉलर है । नेशनल वॉरमेमोरियल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावों के दौरान किया गया एक अहम
वादा था । यह अब लगभग तैयार हो चुका है ओर यह भारतीय सैनिकों के सम्मान में बना है
जिंन्होंने आजादी के बाद हुए युद्ध में अपनै प्राण गंवा दिए थे । नेशनल वॉर
मेमोरियल इंडिया गेट के सी हेक्सठगॉन में है । यह वॉर मेमोरियल40 एकड़ में बना है और
यहां पर एक वॉर म्यूजियम भी है । वॉर मेमोरियल के इसके चारों ओर अमर, वीर, त्याग ओर रक्षा के
नाम से सर्किल्स बने हुए हैँ । यहां पर परमवीर चक्र विजेताओं के बस्ट भी लगे हुए
हैँ।
National War Memorial शहीदों के सम्मान में पहला युद्ध स्मारक देश को समर्पित, जानें इसकी खासियत
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मोदी सरकार ने 4 साल पहले निर्माण
को मंजूरी दी !
पहली बार 1960 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव सेनाओं की ओर से दिया गया
था । लेकिन कुछ वजहों से इसका निर्माण कार्यं शुरू नहीं हो सका और अक्टूबर 2015 में जाकर केद्र
सरकार ने इस वॉर मेमोरियल क्री मंजूरी दी । ब्रिटिश शासन के दौरान सन् 1 931 में इंडिया गेट का
निर्माण हुआ जिसे पहले विश्न युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में
बनाया गया था । इसके बाद सन 1 971 के युद्ध में शहीद हुए 3843सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति यहां पर आई और यह अभी तक जल
रही है ।