Prithvi-ki-utpatti - पृथ्वी कैसे बनी - धरती की आत्मकथा
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नमस्कार दोस्तों - मैं आज आपको पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर पृथ्वी के आज वर्तमान रूप मैं आने तक हुई सारी प्रक्रियाओं घटनाओं पर विस्तार से जानकारी दूंगा ! मुझे विश्वास है कि यह जानकारी आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी ! क्योंकि अक्सर हमारे मन में यह उत्साह हर बार रहती है कि पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई ? इस पर जीवन कैसे आया ? क्या पृथ्वी की उत्पत्ति के समय आग के गोले के रूप में थी ? क्या पृथ्वी उत्पत्ति के समय आज ही के रूप में थी ? चांद कैसे बना ? इन सारे सवालों का जवाब मैं आपको देखकर एक सामान्य भाषा में आप को समझाने की कोशिश करूंगा ! तो आप से उम्मीद है कि आप इस पोस्ट को पूरी जरूर देखें |
Note :- दोस्तों इस पोस्ट के साथ नीचे हमारे यूट्यूब चैनल का वीडियो भी दिया हुआ है उस वीडियो में भी पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में साधारण भाषा में जानकारी दी गई है तो आप वीडियो भी देख सकते हैं ! अगर वीडियो देखने के बाद हमारा चैनल पसंद आए तो दोस्तों सब्सक्राइब करना ना भूलें ! क्योंकि दोस्तों अपना गुरुजी चैनल आज के युवाओं को उत्पादक बनाने के लिए हर समय अपना कार्य करता है ! हमारी आशाओं को बनाए रखने के लिए धन्यवाद !
Prithvi-ki-utpatti - पृथ्वी कैसे बनी - धरती की आत्मकथा
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कई सालो तक ऐसे पत्थरों और चट्टानों को धरती बनाने के लिए जोड़ते जोड़ते रहे ! उस समय 100 से ऊपर ग्रह सौरमंडल में सूर्य के चक्कर लगा रहे थे ! चट्टानों के आसपास में टकराव के कारण धरती एक आग के गोले के रूप में तैयार हो रही थी जिसके फलस्वरूप लगभग 4.5 बिलियन साल पहले धरती का तापमान 1200 सेंटीग्रेड था !
धरती पर कुछ नहीं था था तो सिर्फ उबली हुई चट्टाने, कार्बन डाइऑक्साइड नाइट्रोजन और जल वास ! एक ऐसा माहौल था जिसमें हम चंद पलों में दम घुटने से मर जाते उस समय कोई भी सख्त सजा ही नहीं थी कुछ था तो बस ना खत्म होने वाला उबलता हुआ लावा ! जो निकला ही जा रहा था !
कई वर्ष गुजर जाने के बाद अंतरिक्ष में चट्टानों और ग्रह उपग्रह पर उल्का का हमला होने लगा ! बहुत भयंकर तूफान के साथ उनका ओं की बारिश होने लगी ! और आसमान से गिरते इन उर गांव में एक अजीब से क्रिस्टल थे ! जिन्हें आज नमक के रूप में प्रयोग किया जाता है ! एक्जिमा सालों से हम नमक निकालते हैं वह नमक उस समय पर दी की उत्पति के समय लोगों के साथ गिरे गिरे क्रिस्टल से बना हुआ है ! आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर उनका में मौजूद इतने कम पानी से सागर की उत्पत्ति कैसे हो सकती है \ तो उसका जवाब यह है कि उनका धरती पर करीबन-करीबन 20 मिलियन साल तक गिरते रहे जिसका नाम धरती पर काफी मात्रा में पानी इकट्ठा हो गया और धरती का जो तापमान था वह भी धीरे धीरे धीरे कम होने लगा !
धरती पर पानी एकत्रित होने के कारण धरती की ऊपरी सतह ठंडी होने लगी और ठंडी होने के कारण उपरी सहत कठोर होने लगी लेकिन धरती के अंदर लावा उसी रूप में मौजूद रहा ! धरती पर ऊपरी तापमान 70 से 60 डिग्री सेल्सियस हो चुका था ! धरती की सख्त हो चुकी थी धरती के वातावरण में बदलाव आने के लिए यह तापमान और हालात एकदम सही थे ! धीरे धीरे धीरे धरती के तापमान में बदलाव आने लगा परिस्थितियों के अनुकूल होने लगी तो समुंदर में छोटे छोटे कीड़े मकोड़े समुंद्री जीव अपने लगे !
Prithvi-ki-utpatti - पृथ्वी कैसे बनी - धरती की आत्मकथा
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पृथ्वी पर कैसे हुई जीवन की शुरुआत -
जब धरती पर पानी की मौजूदगी होने लगी और ज्वालामुखी फटने लगी ! उल्काको की बारिश अभी भी नहीं थी ! पानी और नमक के अलावा और भी कुछ ला रहे थे कुछ ऐसे करने वाले थे ! कार्बन और अमीनो एडिस थे यह खनिज पदार्थ दोनों तत्व पृथ्वी पर आए जाने से हर जीव जंतु और पेड़ पौधे पाए जाने लगे !
यह उनका पानी में 3000 मिनट से नीचे चला गया था जहां सूर्य की किरने पहुंच नहीं पाती थी ! धीरे-धीरे उनका ठंडे हो कर जलने लगे उन्होंने एक चिमनी का आकार लेना शुरू कर दिया ज्वालामुखी में पड़ी दरार में पानी जाने से धुआं इन चीजों से निकलने लगा और पानी एक केमिकल शॉप बन गया ! इसी बीच पानी में समाहित केमिकल के बीच ऐसा रिएक्शन हुआ जिसमें माइक्रो जीव पनपने लगा ! और कई ऐसे सिंगल सेल वाले बिटिया भी उत्पन्न हो चुके थे ! इस तरह धीरे-धीरे जीवन की शुरुआत प्रति पर होने लगी और कई बड़ी प्रजातियां भी अस्तित्व में आने लगी और पेड़ पौधे की मौजूदगी भी धीरे-धीरे तापमान की स्थाई स्थिति को देखते हुए कई ऐसी जंगली घास है और फल फूल पेड़ पौधे और कीड़े मकोड़े और धीरे-धीरे जंगली जानवर और जानवर भी का उद्भव हुआ !
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- पृथ्वी कैसे बनी - धरती की आत्मकथा
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धरती पर बिना पेड़ पौधे शुरुआत में कहां से आई थी ऑक्सीजन ?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें कई विलियन साल पहले जाना पड़ेगा ! जब समंदर से निचली सतह पर चटान जैसे पेड़ पत्ते उग रहे थे और उन्हें कॉलोनी बना रखी थी उन जीवित व्यक्तियों ने उन पत्रों को इस प्रकार से संश्लेषित कर उसको छोटे-छोटे पौधे के रूप में दे दिया और वह सूरत से भोजन बनाने के लिए भी उसे तैयार कर दिया गया इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है !
जिससे यह पूरी करने की ताकत से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ग्लूकोस में बदल देता है ! उसी शुगर भी कहा जाता है इसके साथ ही यह कैसे से उत्पाद छोड़ता है जो कि ऑक्सीजन गैस होती हैं समय की गति के साथ-साथ ऑक्सीजन गैस आने लगी धीरे धीरे धीरे धीरे की मौजूदगी बहुत ही भारी मात्रा में होने लग गई थी और ऑक्सीजन की मौजूदगी कारण पानी में लोहे के जंग लगने की मोजूद में आए !
इस तरह ऑक्सीजन की उत्पत्ति एक बहुत बहुत ही लंबी प्रक्रिया थी जो मिलियन सालों के बाद एक पूर्ण रूप से वायुमंडल में फैली !
कहां से आया था धरती पर पानी ?
धरती पर आज जो पानी है वह कई मिलियन साल पहले का है ! इसी पानी के नीचे सारी सकते हो ढल चुकी थी चांद के पास होने के कारण इसके द्वारा लगाए जाने वाले गुरुत्वाकर्षण धरती का एक तूफान सागा जिस तूफान में धरतीपुत्र मचा दी उस समय के साथ चांद धरती से दूर होता गया और तूफान शांत हो गया पानी के लिए रोगी अब धरती के साथ भी निकलना बंद हो गया और धीरे-धीरे छोटे-छोटे गया !
पृथ्वी पर जीवन संभव किस प्रकार हुआ ?
बर्फ पिघलता समय सूर्य से आने वाली पराबैगनी हानिकारक किरणों से एक केमिकल रिएक्शन हुआ जिसमें पानी में से हाइड्रोजन पर ऑक्साइड बनी और उसके टूटने से ऑक्सीजन ! यही ऑक्सीजन गैस 50 की न्यू पर वार्ता में पहुंच गई तो यह भी केमिकल रिएक्शन हुआ जिसमें जन्म हुआ और जो नाम की 1 प्रतियां गैस का जो सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों को रोकती है ! जिसने इन की शुरूआत को एक आधार दिया अगले 150 साल तक इस गैस की परत काफी मोटी हो गई इसके साथ ही पेड़ पौधे अस्तित्व में आए ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगे धीरे-धीरे ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होने लगी पेड़-पौधे और जीव-जंतु अस्तित्व में आने लगे और उनकी संख्या में धीरे धीरे धीरे होने लगी इसी प्रकार हुआ था जीवन का शुरुआत !
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