Monday, February 18, 2019

माउंटबेटन ने राजाओं को ऐसे किया था राजी ?


         रियासतों का विलय :-

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माउंटबेटन ने राजाओं को ऐसे किया था राजी ?
  1.  bhaarateey riyaasaton ka vilay
  2. riyaasaton ka bhaarateey sangh mein vilay




    25 जुलाई 1947 का दिन भारत के लिए टर्निंग पॉइंट था इसी दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने चेंबर ऑफ प्रिंसेस को संबोधित किया था ! इससे कुछ दिन पहले 3 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता कानून को ब्रिटिश सरकार पारित कर चुकी थी ! जिसके तहत भारत और पाकिस्तान नामक दो देश बने थे ! ब्रिटेन  ने मूलत जून 1948 में भारत की आजादी की तारीख तय की थी ! देश में कानून व्यवस्था की दिनोंदिन बिगड़ती स्थिति के कारण स्थिति को थोड़ा पहले किसका कर 15 अगस्त 1947 कर दिया गया !

riyaasaton ka bhaarateey sangh mein vilay


 9 जून को जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल ने माउंटबेटन से मुलाकात की और भारतीय रियासतों के बारे में योजना की जानकारी चाहिए ! दोनों भारतीय नेताओं ने माउंटबेटन को साफ कर दिया था ! कि वे नहीं  चाहते  थे कि भारत कहीं इस समय मैं बढ़ जाए जो समय ऐसा होता नजर आ रहा था !

 ब्रिटिश 1757 में प्लासी की लड़ाई से ही बांटो और राज करो की नीति पर चलते आए थे ! इस नीति के सहारे भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ी ताकत बन गए थे ! अपनी ताकत को बरकरार रखने के लिए उन्होंने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए भारतीय राजाओं के साथ इस तरह की संध्या और समझौते भी किए थे ! जिसके तहत उन्हें अपने अपने राज्य में एक तरह से क्षेत्रीय सवाई तथा हासिल की ऐसी करीब 565 रियासते थी ! जिन्हें अलग अलग तरह से स्वायत्त तथा प्राप्ति थी !


  1. bhaarateey riyaasaton ka vilay
  2. riyaasaton ka bhaarateey sangh mein vilay

 भारतीय रियासतों में सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद और जम्मू कश्मीर की उन 20लाख किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में फैली हुई थी क्षेत्रफल के हिसाब से के दोनों रियासत में ग्रेट ब्रिटेन से भी बड़ी थी ! इनकी आबादी कई यूरोपीय देशों की आबादी से ज्यादा थी कहीं बड़े राजनेताओं अपनी अपनी सेनाएं भी रख रखी थी हैदराबाद के पास तो अपनी एक एयरफोर्स की थी ! इस तरह  हर प्रकाश से अपने आप में स्वतंत्र थे और उनका ब्रिटिश इंडिया से कोई लेना देना नहीं था ! इसके मैनेजर जब ब्रिटेन ने भारत को आजाद करने का फैसला लिया तो इसका मतलब था ! इन सभी राज्यों का भी ब्रिटेन शासक के साथ संधियों से मुक्त हो जाना !



 इस पृथ्वी को देखते हुए लॉर्ड माउंटबेटन के समक्ष बहुत ही विशाल चुनौती जब भी ! 25 जुलाई 1947 को चेंबर ऑफ प्रिंसेस को संबोधित करने के लिए खड़े हुए तो उनके यूनिफार्म कई मेडल्स और  बृजेश चमक रही थी ! ऐसी चमकने उन्हें अपनी वाणी में भी दिखानी थी माउंटबेटन के पास केवल एक पखवाड़े का पता था ! और इस शताब्दी में ही उन्हें अपनी वक्तृत्व कला से भी सभी राजा महाराजा और नवाबों को इस बात के लिए मानना था ! कि वे भारत और पाकिस्तान के साथ साथ विलय समझौतों पर हस्ताक्षर कर दे !

  माउंटबेटन ने अपने भाषण की शुरुआत राजा महाराजा और नवाबों की प्रशंसा से की उन्हें इस बात का एहसास दिलाया ! कि वे आधुनिक भारत के निर्माता है और ऐसे ऐतिहासिक पलो के साक्षी हैं ! जो उनकी जिंदगी में फिर कभी नहीं आएंगे उनकी गिनती एक महान देश के महान नेताओं में की जाएगी प्रशंसा का लेप लगाने के बाद माउंटबेटन ने उनसे भी वादे किए जो एक तरह से ब्राह्मण थे !  लेकिन उन हालात में माउंटबेटन की नजर में इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं था माउंटबेटन ने राजा महाराजाओं से कहा कि उन्हें केवल 3 मामलों में अपनी स्वतंत्रता छोड़नी होगी रक्षा,विदेश, मामले और संचार इस तरह उन्हें अन्य तमाम मामलों में अत्यधिक आंतरिक स्वस्त्ता हासिल होगी !
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इसलिए इस परिस्थिति में उन्हें कांग्रेस के साथ समझौता कर विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर लेना चाहिए ! ऐसी हालत में रजवाड़ों को यही लगा कि अगर विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए अभी उनकी स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन वह गलत है ! ऐसा करने से उन्ह रजवाड़ों की स्थिति में एक फर्क आ गया उन्होंने ब्रिटेन के साथ पहले जिन संध्या पर हस्ताक्षर किए थे ! वह स्वतंत्र शासक के तौर पर किए थे ! लेकिन इस बार उन्होंने अपनी पूर्ण स्वतंत्रता को गवाकर हस्ताक्षर किए थे और इसमें सामने वाले की तरफ से कोई काउंटर गारंटी नहीं दी गई थी ! यह सब कुछ भारत के व्यापक जिसमें केवल पारस्परिक भरोसे के साथ किया गया था ! जो जाने बगैर की अगले 2 साल में इनमें से कहीं प्राचीन रियासते खत्म हो जाएगी ! इनमें से कुछ तो निरंतर सातवीं शताब्दी से चली आ रही थी !
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हिय भी जाने - कितने साल की हो गई हमारी धरती ?

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  2. riyaasaton ka bhaarateey sangh mein vilay

 सत्ता के हस्तांतरण की पूर्व संध्या पर अधिकांश रियासतें  विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए कुछ रियासतों ने इसमें वक्त लिया उदाहरण के लिए पिपलोदा रियासत से मध्य भारत स्थित इस छोटी सी रियासत ने मार्च 1948 में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए ! आज भारत के कुल क्षेत्रफल का 48 पीस दी हिस्सा इन्हीं रियासतों का है ! यानी के हिसाब से भी ज्यादा है जितना पाकिस्तान के रूप में अपने खोया !



 पाकिस्तान में विलय के लिए 12  रियासत ने हस्ताक्षर किए इनमें सबसे बड़ी रियासत कलात थी ! जो इन दिनों ब्लूज आंदोलन का केंद्र बिंदु है ! 13वी रियासत और जिन जिस के नवाब ने अपने दीवान के प्रभाव में आकर पाकिस्तान में विलय के लिए दस्तखत किए थे ! यह रियासत थी काठियावाड़ की जूनागढ़ के दीवान जुल्फिकार अली  भुट्टो के पिता थे ! जुल्फीकार बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने लेकिन बाद में जूनागढ़ भारत के खेमे में आ गया !
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यह सिर क्यों दुखता है ?


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