हेलो नमस्कार दोस्तों मंगल ग्रह की एक ऐसी तस्वीर
जिसने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल दिया है - हियु तू तो ऐसे देखने से
बड़ी ही दिलचस्प तस्वीर नजर आ रही है
लेकिन हम जब साधारण तह सोचे तो यह किसी धार्मिक पूजा प्रतिष्ठान की तरह दिखता है लेकिन वैज्ञानिकों का इस पर
अलग-अलग मतं दर्शाता है -
तो दोस्तों आइए जानते हैं - इसके बारे में पूरी पड़ताल करते हैं इस रिपोर्ट
में -
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मंगल ग्रह की रोचक जानकारी - latest news about mars planet in hindi
दोस्तों दूर से देखने से यह
तस्वीर बड़ी मनोहरम और दिल चस्प पर लगती
है,लेकिन वाकई में यह कोई प्राकृतिक रूप से या मानव द्वारा निर्मित कोई न कोई
अद्भुत दृश्य है - इसको लेकर वैज्ञानिकों के मध्य मत भेद है . कहीं वैज्ञानिक भी
मानते हैं कि यह मानव द्वारा निर्मित है लेकिन कई इसे प्राकृतिक रूप से निर्मित
पिंड मानते हैं |
मानव द्वारा निर्मित
माननीय वाले वैज्ञानिकों को साथ में यह भी तर्क देना होगा कि मंगल ग्रह पर जीवन का
अस्तित्व प्राचीन जमानो रहा होगा | क्योंकि अगर मानव द्वारा निर्मित है तो मानव का अस्तित्व भी तो होगा मानव का
अस्तित्व मंगल ग्रह पर हो सकता है क्योंकि मंगल ग्रह की संरचना पृथ्वी की
मिलती-जुलती है
तो वहां की स्थानीय लोगों
द्वारा किसी अपने धार्मिक प्रतिष्ठान या पूजा पूजा प्रतिष्ठान के लिए किसी मंदिर
मस्जिद और गिरजाघर के रूप में बनाया गया हो लेकिन इसकी कलाकारी और उसका दृश्य वाकई
में बेहद दिलचस्प और अद्भुत है हो सकता है कि यह प्राकृतिक रूप से भी निर्मित हो
इस आकृति को प्राकृतिक रूप से निर्मित मानने वाले वैज्ञानिक इस बात पर दावा करते
हैं,
कि मंगल ग्रह पर अधिक भीषण गर्मी और सूर्यताप
के कारण मंगल ग्रह की धरती से भयंकर विशाल लागे का उद्गार हुआ लेकिन किसी चट्टान
की टकराव के कारण यह लावा एक छोटे से छेद से जब गुजरा तो इसकी आकृति ऐसे ही
प्राकृतिक रूप से बन गई और स्थानीय लोगों ने यहां पर अपनी धाक जमा ली -लेकिन दोनों
ही मतों में मानव का अस्तित्व होने की संभावनाओं को पूरी पूरी प्रकट की गई है हो
सकता है यह तस्वीर वैज्ञानिकों के अनुसार प्राकृतिक रूप से निर्मित कोई पिंडदान
ज्वालामुखी है-
मंगल ग्रह के बारे में जानकारी, तथ्य, जीवन-संभावना - information about mars in hindi
इसके
सतह पर आयरन ऑक्साइड काफी अधिक मात्रा में है जिसके कारण इसका रंग गहरा लाल है,
अतः इसे red प्लेनेट के नाम से भी जाना जाता है।
यह खुली आँखों से देखा जा सकता है।
इस
ग्रह का अपना मैग्नेटिक क्षेत्र नहीं है। यह एक terrestrial ग्रह जिसका वायुमंडल बहुत पतला है।
इस ग्रह के दो चन्द्रमा हैं – फोबोस एवं डीमोस।
पृथ्वी
के दिन के हिसाब से सूर्य कि परिक्रमा करने में मंगल 687 दिन लगाता है। गैलीलियो ने अपने टेलिस्कोप के
द्वारा इस ग्रह कि खोज कि थी।
मंगल
ग्रह की भौतिक विशेषताएं (Physical Characteristics of Mars in Hindi)
मंगल
के सतह में बहुत ज्यादा अवस्था में आयरन सहित खनिज पाए जाते हैं। सतह पर पाए जाने
वाले धूल और पत्थरों में भी आयरन काफी मात्रा में विद्यमान रहता है। आयरन के
खनिजों का ऑक्सीकरण (oxidize) हो
जाता है जिससे वहां की मिट्टी लाल है।
यहाँ
पर ठन्डे एवं पतले वायुमंडल होने के कारण तरल जल यहाँ ज्यादा देर तक स्थिर रह ही
नहीं पाता। व्यास में मंगल पृथ्वी का आधा है, लेकिन वहां का भूभाग लगभग पृथ्वी का आधा है। इस
ग्रह पर सौर मंडल के कुछ बहुत ऊँचे पहाड़ एवं गहरी घाटियां मौजूद हैं। Olympus
Mono नामक पहाड़ 27 किमी लम्बा है। दूसरी तरफ Valles
Maarineries नामक एक घाटी
है जो 10 किमी तक गहरा
है और 4000 किमी तक चौरा
है।
इस
ग्रह पर सौर मंडल के सबसे विशालतम सक्रिय ज्वालामुखी स्थित हैं जिसका नाम Olympus
Mons है। इसका व्यास
600 किमी है। यह
एक ढाल के रूप में विराजमान है जो बहते हुए लावा के सुख जाने पर बने होंगे। यहाँ
कई अन्य सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं। वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि Valles
Marineris का निर्माण
क्रस्ट भाग के खिंचाव और फैलाव से हुआ होगा। इस घाटी के अंदर भी कई घाटी मौजूद हैं
जोकि 100 किमी तक फैले
हुए हैं। इन घाटियों के सतह पर मौजूद गहरे निशानों को देख कर लगता हैं जैसे यहाँ
कभी पानी मौजूद रहा होगा।
सूर्य से
ज्यादा दूरी होने के कारण मंगल का तापमान पृथ्वी से बहुत कम है। यहाँ का औसतन
तापमान माइनस 60॰
सेल्सियस है। वहां के शीतकालीन मौसम के दौरान तापमान माइनस 125॰ सेल्सियस रहता है। यहाँ के
वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रधान है एवं पृथ्वी के हिसाब से 100 गुना कम घना है। शीतकालीन मौसम के
दौरान कार्बन डाइऑक्साइड गैस जम जाता है।
मंगल
ग्रह पर किये गए शोध (Researches About Mars in Hindi)
वहां
के मिट्टी के एवं अन्य नमूनों के अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह कहा है कि
मंगल का वायुमंडल पहले बहुत घना एवं गाढ़ा था जहाँ जिसके कारण इसके सतह पर पानी के
स्रोत थे।
यहाँ
शीतकाल में कार्बन डाइऑक्साइड सहित बर्फीले बादलों का निर्माण होता है।
मंगल
ग्रह पर बहुत भयानक धूल भरी आंधियां चलती हैं जो कई महीनो तक विराजमान रहती हैं।
तेज हवा के कारण बहुत अधिक मात्रा में धूल उड़ता हैं जिसके कारण पूरा वातावरण गर्म
हो जाता है।
इस
ग्रह के बारे में जानने के लिए नासा ने साल 1960 के दशक से यहां मिशन भेजना शुरू कर दिया था। इससे
पता चला कि मंगल एक बंजर ग्रह है। जैसे कि माना जाता था वहां जीवन होने के कोई
संकेत नहीं मिले। साल 1971 Mariner 9 मिशन ने मंगल के चक्कर लगाए एवं उसके 80 प्रतिशत भाग का मापीकरण किया। इसने ज्वालामुखियों
एवं घाटियों कि भी खोज की।
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