दिन और रात कैसे बनते है। How are day and night formed?
- दिन और रात कैसे बनते है ?
- सर्दियों में दिन छोटा क्यों हो जाता है ?
ये बात तो हम सब जानते हैं कि दिन और रात होते
हैं और यह एक प्राकृतिक घटना है पर क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है आखिर
इसके पीछे क्या कारण है ?
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दिन और रात कैसे बनते है। How are day and night formed?
हर किसी बात के पीछे कारण होता है और एक ऐसा ही
कारण पृथ्वी के साथ भी है। जिससे जुड़ा हर एक तत्व, ग्रह या उपग्रह उसपर कोई भी प्रभाव डालता है तो उसके पीछे कोई ना कोई कारण
छिपा होता है। अब यदि हम प्रभाव की बात करें तो वह है दिन और रात कैसे होते हैं ?
हम आपको बता दें कि हमारी प्रथ्वी अपनी धुरी पर
लगातार धुमती रहती है और सूर्य का चक्कर लगाती है पृथ्वी सूर्य का
एक चक्कर पूरे 24 घंंटे में
पूरा करती है |
और जब पृथ्वी यह चक्कर लगाती है तो पृथ्वी
के जिस हिस्से पर सूर्य की किरण सीधे पडती हैं उस हिस्से पर दिन और जहॉ सूर्य की
किरणेेंं नहीं पहुुॅॅचती है उस हिस्से पर रात होत है यही कारण हैं कि दिन और रात
होते हैं|
सर्दियों में दिन छोटा किहु हो जाता है |
मौसम के अनुसार दिन का छोटा बड़ा होने का कारण है
पृथ्वी का झुकाव। पृथ्वी अपने एक्सिस पे 23.5 डिग्री के झुकाव पर होती है। सर्दियों में जबकि पृथ्वी गर्मियों के मुकाबले
सूर्य के पास होती है, परन्तु पृथ्वी
का झुकाव सूर्ये के तरफ न होकर उसकी विपरीत दिशा में होता है। इस कारण सूर्य आसमान
में ज्यादा ऊपर नहीं होता एवं क्षितिज के ऊपर कम समय के लिए रहता है, जिससे दिन का प्रकाश काम होता है, अँधेरा जल्दी होता है और सर्दियों में दिन छोटे
होते हैं।
दिन और रात कैसे बनते है। How are day and night formed?
जैसा की आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में सूर्य
स्थिर है और पृथ्वी अपनी कक्षा यानी भ्रमण पथ पर 365 दिन में उसका एक चक्कर पूरा
करती है. साथ ही वो अपने अक्ष यानी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है.
पृथ्वी की सूरज की इसी परिक्रमा की वजह से दिन
और रात होते हैं. लेकिन दिन और रात की अवधि हमेशा बराबर नहीं होती. कभी दिन बड़े और
रातें छोटी होती हैं तो कभी दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं. दरअसल ये पृथ्वी के
अक्ष के झुकाव का नतीजा है. हम आपको बता दें कि पृथ्वी का कोई वास्तविक अक्ष होता
ही नहीं. जब पृथ्वी घूमती है तो एक उत्तर और दूसरा दक्षिण में ऐसे दो बिंदु बनते
हैं, जिन्हें एक सीधी रेखा से जोड़ दिया जाए तो को एक धुरी बनती है ठीक वैसे ही जैसे
साइकिल के पहियों की धुरी होती है. जिन पर वे घूमते हैं
पृथ्वी अपने तल से 66 डिग्री का कोण बनाते हुए
घूमती है इस वजह से पृथ्वी का अक्ष सीधा न होकर 23 डिग्री तक झुका हुआ है. अक्ष के
झुकाव के कारण ही दिन व रात छोटे-बड़े होते हैं. 21 जून और 22 दिसंबर ऐसी दो
तारीखें हैं, जिनमें सूरज की रोशनी पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण धरती में समान भागों
में नहीं फैलती... लिहाजा दिन और रात की अवधि में फर्क आ जाता है.
दिन और रात कैसे बनते है। How are day and night formed?
नॉर्वे में मिडनाइड सन वाली घटना का संबंध 21
जून वाली स्थिति से है. इस समय 66 डिग्री उ. अक्षांश से 90 डिग्री उ. अक्षांश तक
का धरती का पूरा हिस्सा सूरज की रोशनी में रहता है. इसका मतलब ये है कि यहां 24
घंटे दिन रहता है, रात होती ही नहीं. इसी वजह से नॉर्वे में ये विचित्र घटना
होती है और आप आधी रात के वक्त भी यहां सूरज उगता देख सकते हैं. दुनिया में एक ऐसी
जगह है जहां रात 12 बजकर 43 मिनट पर सूरज छिपता है और महज 40 मिनट के अंतराल पर उग
आता है. यह नजारा नाॅर्वे में देखने को मिलता है. यहां आधी रात को सूरज छिपता है
और रात करीब डेढ़ बजे चिड़ियां चहचहाने लगती हैं. ये सिलसिला एक-दो दिन नहीं,
साल में करीब
ढाई महीना यहां सूरज छिपता ही नहीं. इसलिए इसे 'कंट्री ऑफ मिडनाइट सन'
कहा जाता है.
76 दिनों तक यहां सूरज अस्त नहीं होता...
यूं तो नॉर्वे की खूबसूरती देखते ही बनती है. इसका
शुमार दुनिया के अमीर मुल्कों में होता हैं. खास बात ये है कि यहां के लोग सेहत को
लेकर बेहद सहज हैं. हेल्दी खाना पसंद करते हैं. इन तमाम बातों के बीच नॉर्वे की
सबसे बड़ी खूबी है उसकी प्राकृतिक सुंदरता. ये देश आर्किटिक सर्कल के अंदर आता है.
मई से जुलाई के बीच करीब 76 दिनों तक यहां सूरज अस्त नहीं होता. बेशक इस अनुभव को
वहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है. ये घटना नॉर्वे के उत्तरी छोर पर मौजूद
हेमरफेस्ट शहर में होती है |
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