shivaji-maharaj-शिवाजी की रोचक कहानी
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शिवाजी जागीरदार से राजा बनने की कहानी !
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आज आप को शिवाजी के बारे में एक छोटी सी रोचक कहानी बताने
जा रहे है, की शिवाजी किस प्रकार एक जागीरदार से राजा बन गये ! इस रोचक कहानी से
आप को शिवाजी का तो परिचय होगा ! ही साथ ही आप को भी प्रेरणा मिलेगी ! की आप भी
अपनी सोच और मेहनत से शिवाजी की तरह इतिहास रस सकते है !
पंडित गंगा भट्ट ने राज्यकीय छत्र शिविर लगाकर शिवाजी को छत्रपति की उपाधि दी !
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भारत के इतिहास में मराठा उनकी जो अहम भूमिका रही
उसके समकालीन शिवाजी का राज्याभिषेक एक युगांत कारी घटना थी ! शिवाजी भोंसला के थे ! और उन्होंने मुगल बादशाह और बीजापुर के सुल्तान से लड़ते हुए 1674 ईसवी तक सहार्दी पर्वत के अंचल में अपनी शक्ति का
काफी विस्तार कर लिया था ! अब शिवाजी एक राजा के समान छोटे-छोटे राज्य में रखने लग
गए थे ! लेकिन तब उनकी
स्वतंत्रता राजनीतिक प्रतिष्ठा कम थी बीजापुर का सुल्तान उन्हें अभी भी विद्रोही
मानता था ! कई मराठा सरदार भी उन्हें कुलीन नहीं मानते थे और औरंगजेब
के लिए तो वह सिर्फ एक जागीदार ही थे !
इस क्रांति को दूर करने के लिए शिवाजी ने अपना राज्य
में से कर के राजा की उपाधि धारण करने का निश्चय किया ! इससे जनता में और राजनीतिक जगत में उनकी सत्ता को
मान्यता दी जाने का आधार बना इसके अलावा शिवाजी का यश इस अंचल इतना फैल गया था कि
उन्हें हिंदू धर्म का संरक्षक कौन नायक माना जाने लगा था ! इस पृष्ठभूमि में हिंदू पद
पादशाही के आदर्श की स्थापना के लिए शास्त्रीय विधि से उनका राज्याभिषेक
महत्वपूर्ण था !
शिवाजी का मानना था की भोंसला कुल मूलत सिसोदिया
राजपूतों के वंशज है और इसलिए वे सत्रीय है ! ले कि भोंसला क्षत्रिय नहीं है ! इसलिए उनका
राज्य रोड नहीं हो सकता तब शिवाजी को पता चला कि काशी निवासी प्रखंड पंडित गंगा
भट्ट इस बात से सहमत नहीं है कि उनका राज्य रोहन नहीं हो सकता फिर क्या था शिवाजी
की वंशावली तोर की गई और उनका समन उदयपुर के महाराणा के सिसोदिया राजवंश स्थापित
किया गया !
6 जून 1674 को राज्य पैसे का शुभ मुहूर्त था ! कई विद्वानों सभी राज्यों के राजाओं के प्रतिनिधियों और अंग्रेज
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व्यापारियों को राज्य परिषद समारोह का आमंत्रण भेजा गया एक बड़े समारोह
के बीच गंगा पटना शिवाजी त्रुटियों के लिए परिचित करवाया और उन्हें शो पवित्र घोषित किया गया ! गंगा पटना छत्रपति की उपाधि और उसी समय राज्य के सभी किलो से सलामी की पैदा की गई ! के राज्याभिषेक के समय निश्चल पुरी गोसाई नामक एक तांत्रिक को भी आमंत्रित
किया गया था ! उसने गंगा शुभ
मुहूर्त राज्य पर शक नहीं किया है तब शिवाजी ने 4 अक्टूबर 1974 को अपना राज्य पैसे तांत्रिक विधि से करवाया !
इस राज्य पर से से एक स्वतंत्र वैधानिक मराठा राज्य
का उदय हुआ प्रशासनिक के मार्गदर्शन के लिए राज व्यवहार कोर्स तैयार किया गया और
एक सुव्यवस्थित प्रशासन व्यवस्था कायम हुई ! नया संयंत्र चलाया गया और राज्य में शिक्षक संबंध या राज्य
का जाने लगा सोने और तांबे की मुद्रा भी जारी की गई जिन पर “श्री शिव छत्रपति “ अंकित था !
इतिहास गवाह है कि छत्रपति शिवाजी के राज्य और उनके
बाद 50 साल के भीतर मराठा सत्ता का
भगवा ध्वज भारत के बड़े हिस्सों में फिर आने लगा और फिर तो 18सदी में तो जैसे मराठों की संदी ही हो गई थी !
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