B.ad & BSTC ko 4yers krne ki adhi suchna
BSTC & B.ed चार बर्षीय करने के क्रम में NCTE की अधिसूचना 👇👇👇👇
अब स्नातक नहीं, 12वीं के बाद ही लेना होगा चार वर्षीय बीएड में दाखिला -27 Nov. 2018
अब तक स्नातक उत्तीर्ण करने के बाद सरकारी-गैर सरकारी स्कूलों में अध्यापन के लिए हम दो वर्षीय बीएड का ऑप्शन चुनते आ रहे थे। लेकिन, अब विद्यार्थियों को 12वीं के बाद ही यह विकल्प लेना कि वह शिक्षा के क्षेत्र में केरियर बनाना चाह रहे हैं। कला एवं विज्ञान संकाय में 12वीं उत्तीर्ण करने के साथ ही छात्र-छात्राओं को यदि वह शिक्षक बनना चाहते है, तो चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम में सीधे ही दाखिला लेना होगा। बताया जा रहा है कि नए संशोधन के मुताबिक आने वाले दो वर्ष के बाद शिक्षक प्रशिक्षण यथा बीएड, एसटीसी या डीएलएड जैसे पाठ्यक्रम अलग से नहीं कराए जाएंगे।यह ठीक उसी तरह है जैसे चिकित्सक बनने के लिए 12वीं के बाद ही चार वर्षीय एमबीबीएस तथा इंजीनियर बनने के लिए इंजीनिरिंग पाठ्यक्रम करवाया जा रहे हैं।
अधिसूचना कर दी जारी
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् ने 20 नवम्बर को ही इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत अलग से अब बीएसटीसी एवं बीएड नहीं होकर एक साथ चार वर्षीय पाठ्यक्रम होगा। इसमें अभ्यर्थी को विकल्प लेना होगा कि उसे पूर्व प्राथमिक से प्राथमिक कक्षाओं का शिक्षक बनना है या उच्च प्राथमिक से माध्यमिक का शिक्षक बनना है। विकल्प चयन के अनुसार ही उसे चार वर्ष तक डिग्री करवाई जाएगी।
सेमेस्टर प्रणाली से होगा अध्यापन
एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम अंतर्गत विद्यालय आधारित अनुभव, शिक्षण में प्रशिक्षण सहित चार शैक्षणिक वर्ष की होगी। इसमें आठ सेमेस्टर होंगे। यदि कोई छात्र-शिक्षक कोई सेमेस्टर पूरा नहीं कर पाता है या किसी सेमेस्टर में शामिल नहीं हो पाता है, तो उसे प्रवेश की तिथि से छह की अवधि में पूर्ण कर सकेगा। एक सेमेस्टर में परीक्षा तथा प्रवेश अवधि को छोड़ कम से कम 125 कार्य दिवस रहेंगे।
मान्यता के लिए मांगे आवेदन
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् ने शैक्षिक सत्र 2019 से 2023 के लिए चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षक कार्यक्रम संचालन के लिए मान्यता/अनुमति देने के लिए संयुक्त शिक्षण संस्थाओं से आवेदन भी मांग लिए है। आवेदन की तिथि तीन से 31 दिसम्बर 2018 तय की है।
यह रहेगी पात्रता
चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम मे प्रवेश के लिए 12वीं में न्यूनतम 50 फीसदी अंक होने जरूरी होंगे। प्रवेश की प्राप्त प्रतिशत की वरीयता अथवा राज्य सरकार की ओर से अलग से तय की जा सकेगी। प्रवेश सीटें कला एवं विज्ञान में 50-50 प्रति सेमेस्टर की रहेगी। वहीं, शिक्षण शुल्क का निर्धारण राज्य सरकार अथवा विश्वविद्यालय स्तर पर होगा।
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