पंचायतीराज का नया प्रतिमान ; 7 3वाँ संविधान संशोधन
संविधान के 73बें संशोधन द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई है । संविधान में नया अध्याय-9 जोडा क्या है \ अध्याय-9 द्वारा संविधान में 16 अनुच्छेद और एक अनुसूची-ग्यारहवीं अनुसूची जोडी गई है । 25 अप्रैल, 1993 से 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1993 लागू किया गया । इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं…
1. ग्रामसभा-ग्रामसभा माँव के स्तर पर ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगी और ऐसे कार्यों को करेगी जो राज्य विधानमण्डल विधि बनाकर उपबंध करे ।
2. पंचायतों का गठन-अनुच्छेद 243 ख में त्रिस्तरीय पंचायतीराज का प्रावधान है । प्रत्येक राज्य में ग्राम-स्तर, मध्यवर्ती-स्तर और जिला-स्तर पर पंचायतीराज संस्थाओं का गटन किया जायेगा, परन्तु उस राज्य में जिसकी जनसंख्या 2० लाख से अधिक नहीं हो, वहां मध्यवर्ती स्तर पर पंचायतों का गठन करना आवश्यक नहीं होगा ।
3. पंचायतों क्री संरचना-पंचायतों के सभी स्थान पंचायत राज क्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गये व्यक्तियों से भरे जायेंगे । सभी स्तर के पंचायतों के सभी सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्षत: तथा मध्यवर्ती एवं जिला-स्तर के पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जायेगा ।
4. पंचायतों में आरक्षण-पंचायत के सभी स्तरों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए उनक्रो जनसंरदृया के अनुपात में आरक्षण प्रदान किया जायेगा । ऐसे स्थानों को प्रत्येक पंचायत में चक्रानुक्रम से आवंटित किया जायेगा । आरक्षित स्थानों में से 'एक-तिहाई स्थान (33 प्रतिशत) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति क्री महिलाओ के लिए ' आरक्षित रहेगा ।
5. पंचायतों का कार्यकाल-पंचायतीराज संस्थाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा । -किसी पंचायत के गठन के निर्वासन 5 वर्ष की अवधि पूर्ण होने से पूर्व और विघटन की तिथि से 6 माह की समाप्ति से पूर्व करा लिया जायगा ||
राजस्थान में पंचायतीराज की त्रिस्तरीय व्यवस्था
राजस्थान की विधानसभा में 2 सितम्बर, 1959 को पंचायतीराज अधिनियम धारित किया गया और इस नियम के प्रावधानों क्रे आधार पर 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायतीराज का उदूघाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया । इसके बाद 1959 में आन्ध्र प्रदेश में, 1960 में असम, तमिलनाडु व कर्नाटक, 1962 में महाराष्ट्र, 1963 मेँ गुजरात तथा 1964 में पश्चिम बंगाल मेँ विधानसभाओं द्वारा पंचायतीराज अधिनियम पारित करके पंचायतीराज व्यवस्था को प्रारम्भ किया गया 1 इसका प्रभाव ग्रामीण समाज के विकास एवं क्रियाकलापों पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाईं दे रहा है ।
अगस्त, 1997 में पंचायतीराज संस्थाओं को अधिकार सौंपने के मसले पर सम्पन्न हुए राज्य के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री भैरोंसिंह शेखावत ने संविधान के 73वें संशोधन पर पुनर्विचार क्री आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि सरपंच को पंचायत समिति का तथा प्रधान को जिला परिषदू का सदस्य बनाया जाना चाहिए । इससे ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषदू में बेहतर सामंजस्य हो सकेगा । उनके अनुसार पंचायत समितियों एव जिला परिषदों के सदस्यों का सीधा चुनाव 1 करने से जो एक खर्चीली व्यवस्था राज्य सरकारों पर लादी गई है, उसका अविलम्ब निराकरण किया जाना चाहिए 1
राजस्थान में पंचायतीराज की त्रिस्तरीय व्यवस्था
पंचायतीराज का त्रिस्तरीय ढाँचा-73वें संविधान संशोधन अधिनियम प्रवर्तन के पश्चात् सभी राज्यों ने अपने अधिनियमों में संशोधन कर संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नियम निर्धारित किये जिससे पूरे देश में पंचायतीराज व्यवस्था का नया ढाँचा सामने आया 1 राजस्थान में भी 1994 में पूर्व पंचायतीराज अधिनियमों में संशोधन कर नया पंचायतीराज अधिनियम, 1994 बनाया गया, जिसमेँ मूल रूप से त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के अतिरिक्त एक और स्तर ग्रामसभा का सृजन किया गया । (1) जिला परिषद (2) पंचायत समिति (3) ग्राम पंचायत (4) ग्राम सभा । '
उक्त चार स्तरों में से वर्तमान में 3 इकाइयाँ' ही सक्रिय हैं । चौथी इकाई ग्राम सभा का अध्यक्ष भी ग्राम पंचायत का सरपंच होता है तथा गाँव के सभी वयस्क नागरिक जिनका नाम मतदाता सूची में है एबं ग्राम पंचायत के चयनित पंच इसके सदस्य होते हैँ । ग्राम सभा क्री बैठकों में जिला कलेक्टर द्वारा नामित अधिकारी भी उपस्थित रहते हैं परन्तु वे विचार-विमर्श मेँ भाग नहीं लेते हैँ । की ग्राम सभा का अध्यक्ष भी सरपंच होता हैहूँ अत: हम यहाँ ग्राम पंचायत के गठन एवं कार्यों पर बिशेष चर्चा करेंगे ।
भारत क्रो त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यबस्थी का धरातल स्तर ग्राम पंचायत के नाम से जाना जाता है 1 वास्तव मेँ लोकातृक्ति विकेंद्रीकरण का व्यावहारिक स्वरूप ग्राम पंचायत ही है 1 अत . इसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है 1 73'वें सँविधान संशोधन अधिनियम द्वारा सम्पूर्ण राष्ट्र में पंचायतों क्रो संरचना एवं कार्यों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया 1 पंचायत क्रो संरचना एवं कार्यों के निशा ८ के लिए राज्यों ने भी अपंनेअपने अधिनियम में संशोधन किया है 1 ' ग्राम पंचायत की संरचना-राजस्थान में नवीन पंचायतीराज अधिनियम, 1994 में पंचायत की संरचना के यम्बन्ध मेँ प्रावधान कियै गये , जिसमें 1999 एवं सत् 2000 में भी संशोधन किया गया 1 वर्तमान में पंचायत की संरचना निम्बानुसार है
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