Thursday, September 6, 2018

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बापा रावल 

'मेवाड के इतिहास मे बापा रावल का महत्वपूर्ण स्तान है । यह दुर्भाग्य का फिरा है कि क्या रावल जैसे व्यक्तित्व  कें बारे में समकालीन प्रामाणिक जानकारी उपलष नहीं है । इतिहासकार व विद्वान उनके जन्म मस्ता-पिता आदि के बारे में एकमत नहीं है,
 लेकिन उनका पचपन एकलगजी के पास नागदा गॉव में व्यतीत हुआ इस पर सभी  विद्वानो की एक राय है । नागदा के जंगलों ने ही क्या अपने बचपन में गाये चराने  काते थे ||

ये इस्री दौरान उनकी भेंट हरितृशी से हुई । हरितृशी  पाशुपत सम्प्रदग्य में तकुसीश मत को मानने वाले एक रांन्यास्री थे ||
इस कालखड में भारत अरबो के आक्रमण था उनके दुआरा किये गए अत्याचरों से त्रस्त था \और चारो और अंधकार का वातावरण था \ ऐसे में हरितृशी को बापा रावल में एक उम्मीद दिकहि दी \की हिय ही अरबो का के आक्रमण से देश कोप बचा हेगा \ उनोहने रावल को प्रशिक्षण दिहा \बापा की निस्ठा ,सेवा और लगन से हरितृशि बोहत परसन हुआ \ उनोने अपने अंतिम समय में बापा को मेवाड़ का शासक तथा मेवाड़ हमेसा के लिए उनके वसजो के अधीन रहेगा \


हारीत राशि की मृत्यु के बाद बापा रावल ने अपने संसाधन जुटा कर रोता एकत्रित की औहँ ड्डोंक्ति प्राप्त कस्बे दो लिए अधिकार कर लिया। जैसा कि हमको पता है कि उस कालखण्ड में भारत आक्रमणों से त्रस्त था उसशासक नागभट्य अजमेर र्क बापा रावल ने अपनी रणनीति के अन्तर्गत सिंध कं शासक दाहिर, जैसलमेर के देवराज भाटी, प्रतिहार क्यों कं साथ संघर्ष किया शासक अजयराज, तथा हाडौती के धवल कं साथ मिलकर एक संयुक्त सेना का निर्माण किया तथा अ दि पर विजय प्राप्त की ' मुहम्मद बिन कासिम को परास्त कर सिंध को मुक्त कराया ! ड्स संयुक्त सेना ने ईरान, हुँरद्रक व खुससान आ में बापा रावल ने क जिन लोगों को बलपूर्वक इस्लाम ग्रहण कावा दिया गया था उनको वापस हिन्दू धर्म मे लाया क्या ! खुरासान जिसका प्रणेता बापा विवाह मी किये । इतिहास में प्रथम बार अरब आक्रान्ताओं को इतने शक्तिशाली प्रतिरोध का सामना करना पडा

बापा ने एक विजेता की भांति अपने राज्य को बिस्तार तथा सुदृढ़ता प्रदान की ९ उसने प्रशासनिक च्यवस्थइ को भो ठीक किया । उसने अन्य राजाओं की भांति स्वर्ण कं सिवकं भी जारी किये जो उसक काल की सम्पन्नता का द्योतक है तथा ड्ससे यह भी प्रमाणित होता है कि वह कला का संरक्षक भी था । जीवन क अन्तिम पडाव में उसने सम्पूर्ण ऐश्वर्य का त्याग कर राजपाट अपने पुत्र को सौंप दिया तथा संन्यास मार्ग का अनुसरण किया । संन्यास के दौरान ही नागदा कं निकट उसका देहान्त हुआ वहीँ उसका अन्तिम संस्कार किया गया और समाधि स्थल निर्मित किया गया 1 यह स्थान आज भी वाषा रावल क नाम से विरय्यात है \ हरीत राशि की भविष्यवाणी कं अनुसार बापा कं वंशज आज भी जीवित हैँ तथा मेवाड के शासक के रूप में जाने जाते है 1

निसंदेह वापा का स्थान मेवाड के इतिहास में अग्रणी है उन्होंने मेवाड का भौगोलिक विस्तार हो नहीं किया अपितु विस्तृत साम्राज्य को सुदृढ़ता भी प्रदान की \||

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