Thursday, August 23, 2018

वाक्यांश के लिए एक शब्द

वाक्यांश के लिए एक शब्द  

इस टॉपिक  से एग्जाम में सीधे प्रश्न पूछे जाते है जैसे निम्नलिखित वाक्य के लिए एक शब्द कौन सा है.लगभग सभी एग्जाम में इस टॉपिक से प्रश्न पूछे जाते है


वाक्यांश के लिए एक शब्द-किसी दिए गए वाक्य के लिए एक शब्द वह शब्द होता है जिससे पुरे वाक्य का अर्थ उसी शब्द द्वारा ज्ञात हो जाता है.

यहाँ पर विभिन्न एग्जाम में पूछे गए महत्वपूर्ण वाक्य के लिए एक शब्द दिए जा रहे है.

जिसका जन्म नहीं होता -अजन्मा

पुस्तकों की समीक्षा करने वाला - समीक्षक , आलोचक
जिसे गिना न जा सके - अगणित
जो कुछ भी नहीं जानता हो - अज्ञ
जो बहुत थोड़ा जानता हो - अल्पज्ञ
जिसकी आशा न की गई हो - अप्रत्याशित
जो इन्द्रियों से परे हो - अगोचर
जो विधान के विपरीत हो - अवैधानिक
जो संविधान के प्रतिकूल हो - असंवैधानिक
जिसे भले -बुरे का ज्ञान न हो - अविवेकी
जिसके समान कोई दूसरा न हो - अद्वितीय
जिसे वाणी व्यक्त न कर सके - अनिर्वचनीय
जैसा पहले कभी न हुआ हो - अभूतपूर्व
जो व्यर्थ का व्यय करता हो - अपव्ययी
बहुत कम खर्च करने वाला - मितव्ययी
सरकारी गजट में छपी सूचना - अधिसूचना
जिसके पास कुछ भी न हो - अकिंचन
दोपहर के बाद का समय - अपराह्न
जिसका निवारण न हो सके - अनिवार्य
देहरी पर रंगों से बनाई गई चित्रकारी - अल्पना
आदि से अन्त तक - आघन्त
जिसका परिहार करना सम्भव न हो - अपरिहार्य
जो ग्रहण करने योग्य न हो - अग्राह्य
जिसे प्राप्त न किया जा सके - अप्राप्य
जिसका उपचार सम्भव न हो - असाध्य
भगवान में विश्वास रखने वाला - आस्तिक
भगवान में विश्वास न  रखने वाला- नास्तिक
आशा से अधिक - आशातीत
ऋषि की कही गई बात - आर्ष
पैर से मस्तक तक - आपादमस्तक
अत्यंत लगन एवं परिश्रम वाला - अध्यवसायी
आतंक फैलाने वाला - आंतकवादी
देश के बाहर से कोई वस्तु मंगाना - आयात
जो तुरंत कविता बना सके - आशुकवि
नीले रंग का फूल - इन्दीवर
उत्तर -पूर्व का कोण - ईशान
जिसके हाथ में चक्र हो - चक्रपाणि
जिसके मस्तक पर चन्द्रमा हो - चन्द्रमौलि
जो दूसरों के दोष खोजे - छिद्रान्वेषी
जानने की इच्छा - जिज्ञासा
जानने को इच्छुक - जिज्ञासु
जीवित रहने की इच्छा- जिजीविषा
इन्द्रियों को जीतने वाला - जितेन्द्रिय
जीतने की इच्छा वाला - जिगीषु
जहाँ सिक्के ढाले जाते हैं - टकसाल
जो त्यागने योग्य हो - त्याज्य
जिसे पार करना कठिन हो - दुस्तर
जंगल की आग - दावाग्नि
गोद लिया हुआ पुत्र - दत्तक
बिना पलक झपकाए हुए - निर्निमेष
जिसमें कोई विवाद ही न हो - निर्विवाद
जो निन्दा के योग्य हो - निन्दनीय
मांस रहित भोजन - निरामिष
रात्रि में विचरण करने वाला - निशाचर
किसी विषय का पूर्ण ज्ञाता - पारंगत
पृथ्वी से सम्बन्धित - पार्थिव
रात्रि का प्रथम प्रहर - प्रदोष
जिसे तुरंत उचित उत्तर सूझ जाए - प्रत्युत्पन्नमति
मोक्ष का इच्छुक - मुमुक्षु
मृत्यु का इच्छुक - मुमूर्षु
युद्ध की इच्छा रखने वाला - युयुत्सु
जो विधि के अनुकूल है - वैध
जो बहुत बोलता हो - वाचाल
शरण पाने का इच्छुक - शरणार्थी
सौ वर्ष का समय - शताब्दी
शिव का उपासक - शैव
देवी का उपासक - शाक्त
समान रूप से ठंडा और गर्म - समशीतोष्ण
जो सदा से चला आ रहा हो - सनातन
समान दृष्टि से देखने वाला - समदर्शी
जो क्षण भर में नष्ट हो जाए - क्षणभंगुर
फूलों का गुच्छा - स्तवक
संगीत जानने वाला - संगीतज्ञ
जिसने मुकदमा दायर किया है - वादी
जिसके विरुद्ध मुकदमा दायर किया है - प्रतिवादी
मधुर बोलने वाला - मधुरभाषी
धरती और आकाश के बीच का स्थान - अन्तरिक्ष
हाथी के महावत के हाथ का लोहे का हुक - अंकुश
जो बुलाया न गया हो - अनाहूत
सीमा का अनुचित उल्लंघन - अतिक्रमण
जिस नायिका का पति परदेश चला गया हो - प्रोषित पतिका
जिसका प…
दृष्टि



हिंदी साहित्य की प्रमुख त्रयी :-


(1.)रीतिकालीन कवि त्रयी :--
  केशव, बिहारी, भूषण




(2.)प्रगतिशील त्रयी :-
शमशेर बहादुर सिंह, नागार्जुन, त्रिलोचन
(3.) छायावाद की वृहद्त्रयी :-
  जयशंकर प्रसाद(ब्रह्मा), सुमित्रानंदन पंत (विष्णु), सूर्यकांत त्रिपाठी निराला(महेश)
(4.) छायावाद की लघुत्रयी या वर्मा त्रयी:-
     महादेवी वर्मा, रामकुमार वर्मा, भगवतीचरण वर्मा
(5.) मिश्रबंधु की वृहद्त्रयी:-
   तुलसीदास, सूरदास, देव
(6.) मिश्रबंधु की मध्य त्रयी :-
   बिहारी, भूषण, केशव
(7.) मिश्रबंधु की लघुत्रयी :-
   मतिराम, चंद्रवरदाई, हरिश्चंद्र
(8.) शतक त्रयी:-
   नीतिशतक, श्रंगार शतक, वैराग्य शतक
(9.) नयी कहानी आंदोलन की यशस्वी त्रयी :-
    राजेंद्र यादव, कमलेश्वर, मोहन राकेश
(10.) भारतीय पत्रकारिता त्रयी :-
   राजेंद्र माथुर, मनोहर श्याम जोशी, अज्ञेय




१. डॉ. बच्चन सिंह ने खड़ी बोली का प्रथम प्रगतिवादी काव्य किसे माना है?
💐 युगवाणी, -पंत-
२. डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त ने कालक्रम की दृष्टि से प्रथम प्रगतिवादी काव्य और कवि किसे माना है?
💐 रामेश्वर करुण की करुण सतसई
३. केदारनाथ अग्रवाल प्रारम्भ में किस उपनाम से रचना करते थे?
💐 बालेंदु
४. 'देश विदेश की कविताएँ' शीर्षक अनुवाद किसने किया?
💐 केदारनाथ अग्रवाल
५. नागार्जुन की खड़ी बोली में सर्वप्रथम प्रकाशित रचना कौनसी है तथा किस पत्रिका में छपी?
💐 'राम के प्रति' 1935, विश्वबंधु पत्रिका
६. नागार्जुन साहित्य का मेनिफेस्टो किस कविता को कहा गया है?
💐 प्रतिहिंसा ही स्थायी भाव है, (नागार्जुन ने ही कहा है)
७. नागार्जुन की कविताओं को नुक्कड़ कविता किसने कहा?
💐 डॉ. बच्चन सिंह
८. प्रगतिवाद का शलाका पुरुष कौन है?
💐 नागार्जुन
९. गुनिया का यौवन किसकी कविता है? शिवमंगल सिंह सुमन
१०. अवध का किसान कवि किसने किसको कहा?
💐 त्रिलोचन को मुक्तिबोध ने कहा
११. अजेय खण्डहर किसकी रचना है? इसके शीर्षकों का नाम क्या है?
💐 रांगेय राघव, शीर्षक हैं- झंकार, ललकार, हुंकार
१२. 'अमोला' काव्य की भाषा क्या है?
💐 अअवधी
१३. "माँझी न बजाओ वंशी मेरा प्रण टूटता" किसकी पंक्ति है?
💐 केदारनाथ अग्रवाल
[2:58 PM, 8/23/2018] +91 81073 22280: 💐दृष्टि
          कॉम्पिटिशन क्लासेज

#सिद्ध साहित्य :-
#सिद्धों का सम्बन्ध बौद्ध धर्म की ब्रजयानी शाखा से है।
 ये भारत के पूर्वी भाग में सक्रिय थे।
 इनकी संख्या  84 मानी जाती है जिनमें सरहप्पा, शवरप्पा, लुइप्पा, डोम्भिप्पा, कुक्कुरिप्पा आदि मुख्य हैं।
#सरहप्पा प्रथम सिद्ध कवि थे। इन्होंने जातिवाद और वाह्याचारों पर प्रहार किया। देहवाद का महिमा मण्डन किया और सहज साधना पर बल दिया। ये महासुखवाद द्वारा ईश्वरत्व की प्राप्ति पर बल देते हैं।
#बौद्ध धर्म के वज्रयान तत्व का प्रचार करने के लिए जो साहित्य देश भाषा (जनभाषा) में लिखा गया वही सिद्ध साहित्य कहलाता है।
 यह साहित्य बिहार से लेकर असम तक फैला था।
#राहुल संकृत्यायन ने 84 #सिद्धों के नामों का उल्लेख किया है l
जिनमें सिद्ध 'सरहपा' से यह साहित्य आरम्भ होता है।
#बिहार के नालन्दा विद्यापीठ इनके मुख्य अड्डे माने जाते हैं बाद में यह 'भोट' देश चले गए।
 इनकी रचनाओं का एक संग्रह #महामहोपाध्याय #हरप्रसाद शास्त्री " ने बांग्ला भाषा में 'बौद्धगान-ओ-दोहा' के नाम से निकाला। सिद्धों की भाषा में 'उलटबासी' शैली का पूर्व रुप देखने को मिलता है।
#हजारी प्रसाद द्विवेदी." ने सिद्ध साहित्य की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि, "जो जनता तात्कालिक नरेशों की स्वेच्छाचारिता, पराजय त्रस्त होकर निराशा के गर्त में गिरी हुई थी, उनके लिए इन सिद्धों की वाणी ने संजीवनी का कार्य किया। साधना अवस्था से निकली सिद्धों की वाणी 'चरिया गीत / चर्यागीत' कहलाती है।
#सिद्ध साहित्य को मुख्यतः निम्न तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:-
(१) नीति या आचार संबंधित साहित्य
(२) उपदेश परक साहित्य
(३) साधना सम्बन्धी या रहस्यवादी साहित्य
#सिद्ध साहित्य की प्रमुख विशेषता :-
इस साहित्य में तंत्र साधना पर अधिक बल दिया गया।
साधना पद्धति में शिव-शक्ति के युगल रूप की उपासना की जाती है।
इसमें जाति प्रथा एवं वर्णभेद व्यवस्था का विरोध किया गया।
इस साहित्य में ब्राह्मण धर्म एवं वैदिक धर्म का खंडन किया गया है।
सिद्धों में पंच मकार (मांस, मछली, मदिरा, मुद्रा, मैथुन) की दुष्प्रवृति देखने को मिलती है।
#प्रमुख सिद्ध कवि व उनकी रचनाएँ :-
#सरहपा (769 ई.)- दोहाकोष
#लुइपा (773 ई. लगभग) -- लुइपादगीतिका
#शबरपा (780 ई.) -- चर्यापद , महामुद्रावज्रगीति , वज्रयोगिनीसाधना
#कण्हपा (820 ई. लगभग)-- चर्याचर्यविनिश्चय। कण्हपादगीतिका
#डोंभिपा (840 ई. लगभग)-- डोंबिगीतिका, योगचर्या, अक्षरद्विकोपदेश
#भूसुकपा-- बोधिचर्यावतार
#आर्यदेवपा -- कावेरीगीतिका
#कंवणपा -- चर्यागीतिका
#कंबलपा -- असंबंध-सर्ग दृष्टि
#गुंडरीपा -- चर्यागीति
#जयनन्दीपा -- तर्क मुदँगर कारिका
#जालंधरपा -- वियुक्त मंजरी गीति, हुँकार चित्त , भावना क्रम
#दारिकपा -- महागुह्य तत्त्वोपदेश
#धामपा -- सुगत दृष्टिगीतिकाचर्या
#सिद्ध साहित्य के इतिहास में चौरासी सिद्धों का उल्लेख मिलता है। सिद्धों ने बौद्ध धर्म के वज्रयान तत्व का प्रचार करने के लिये, जो साहित्य जनभाषा मे लिखा, वह हिन्दी के सिद्ध साहित्य की सीमा मे आता है

#सिद्ध सरहपा (सरहपाद, सरोजवज्र, राहुल भ्रद्र) से सिद्ध सम्प्रदाय की शुरुआत मानी जाती है। यह पहले सिद्ध योगी थे। जाति से यह ब्राह्मण थे। #राहुल सांकृत्यायन ने इनका जन्मकाल 769 ई. का माना, जिससे सभी विद्वान सहमत हैं। इनके द्वारा रचित बत्तीस ग्रंथ बताए जाते हैं जिनमे से ‘दोहाकोश’ हिन्दी की रचनाओं मे प्रसिद्ध है। इन्होने पाखण्ड और आडम्बर का विरोध किया तथा गुरू सेवा को महत्व दिया।

इनके बाद इनकी परम्परा को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख सिद्ध हुए हैं क्रमश: इस प्रकार हैं…

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