भारत के 3 गद्दार जीनों ने -Maharana pratap | Prithviraj chauhan | Sambhaji maharaj धोखा दिया
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नमस्कार साथियों - आज अपनी इस पोस्ट में बात करने वाले हैं भारत के उन गद्दारों की जिन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज वह महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान को धोखा दिया | दोस्तों हमारे देश में कई ऐसी महान हस्तियों ने पीर पुरुषों ने जन्म लिया लेकिन ऐसे योद्धा जिसे झुकाना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन था लेकिन साथियों इनके साथ धोखा किया गया |
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भारत के 3 गद्दार जीनों ने -Maharana pratap | Prithviraj chauhan | Sambhaji maharaj धोखा दिया
साथियों - छत्रपति संभाजी महाराज वह महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान के बारे में एक-एक करके विस्तार से जानेंगे कि कौन थे वह लोग जिन्होंने इन को धोखा दिया था !
छत्रपति संभाजी महाराज
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संभाजी (14 मई 1657 - 11 मार्च 1689) मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक थे। वह शिवाजी के सबसे बड़े बेटे थे, मराठा साम्राज्य के संस्थापक और उनकी पहली पत्नी साईबाई। वह अपने पिता की मृत्यु के बाद दायरे के उत्तराधिकारी थे, संभाजी का शासन काफी हद तक मराठा साम्राज्य और मुगल साम्राज्य के साथ-साथ अन्य पड़ोसी शक्तियों जैसे कि सिद्धियों, मैसूर और गोवा में पुर्तगालियों के बीच चल रहे युद्धों द्वारा आकार दिया गया था। और उन्होंने नौ साल तक शासन किया। संभाजी महाराज ने 9 वर्ष के शासनकाल में 120 लड़ाइयां लड़ी जिनमें से एक भी नहीं हारे थे | लेकिन उसके समकालीन औरंगजेब यह बात समझ चुका था कि इस को पकड़ना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है तो फिर उसने एक चाल चली उसने गणोजी शिर्के को लालच देकर अपनी और कर दिया और जब संभाजी महाराज एक गुप्त रास्ते से गुप्त मीटिंग के लिए जा रहे थे ! तो उसने इस बात की जानकारी औरंगजेब को दे दी और जिस महाराज को 800000 लोग मिलकर नहीं पकड़ पाए थे मात्र 2000 लोगों ने उसे पकड़कर बंदी बना लिया और अपने साथ ले गए - वहां संभाजी महाराज को प्रताड़ित किया गया और कहीं ऐसी शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गई और अंत में उसे मार डाल दिया गया |
वीर - महाराणा प्रताप
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भारत के 3 गद्दार जीनों ने -Maharana pratap | Prithviraj chauhan | Sambhaji maharaj धोखा दिया
इस वीडियो में उन गद्दारो के बारे में हमने बताया है जीनो ने
संभाजी महाराज व महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान को धोका दिया था !
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पृथ्वीराज चौहान III
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पृथ्वीराज चौहान III - (1178–1192 ) जिसे अंतिम हिन्दू सम्राट तथा राय पिथोरा के नाम से जाना जाता है, चम्हाण (चौहान) वंश से एक भारतीय राजा था। उन्होंने वर्तमान उत्तर-पश्चिमी भारत में पारंपरिक चरणमान क्षेत्र में सपादलक्ष पर शासन किया। उन्होंने वर्तमान राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली पर बहुत नियंत्रण किया; और पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से। उनकी राजधानी अजयमेरु (आधुनिक अजमेर) में स्थित थी, हालांकि मध्ययुगीन लोक किंवदंतियों ने उन्हें भारत के राजनीतिक केंद्र दिल्ली के राजा के रूप में वर्णित किया है जो उन्हें पूर्व-इस्लामिक भारतीय शक्ति के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित करते हैं। पृथ्वीराज चौहान के साथ में धोखा किया गया था ! उस समय जयचंद गढ़वाल ने मोहम्मद गौरी के साथ अपनी सेना दे कर | इस महाराज को धोखे से हरा दिया था !
लेकिन इस वीर पुरुष के बारे में एक कहावत है- कि वह शब्दभेदी बाण चलाया करते थे | कहा जाता है कि जब मोहम्मद गोरी उसे पकड़कर गजनी लेकर गया था ! वहां ले जाकर इसकी दोनों आंख फोड़ दी गई और कहीं ऐसी शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गई | लेकिन इनके साथ चतुर प्रिय मित्र चंद्रवरदाई था | चंद्रवरदाई ने अपनी चतुराई से मोहम्मद गोरी से कहा कि हमारे महाराज इतना शक्तिशाली है कि वह शब्दभेदी बाण चलाना जानते हैं भाई आपने इनकी आंखें फोड़ दियो इन को प्रताड़ित किया हो पर हमारे महाराज तो महाराज जी है | तो कहा जाता है कि गोरी ने पृथ्वीराज की परीक्षा लेने कहा कि मैं ऊपर मंजिल पर बैठूंगा | अगर तू शब्दभेदी बाण चलाना जानता है तो मुझे दिखाना ! कहां जाता है चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को प्रभावित करने के लिए उसे एक लाइन सुनाएं- चार बांस 22 गज अंगुल अष्ट प्रमाण इतने पलक घड़ियाल है मत चूके चौहान | कहते हैं इस लाइन को सुनने के बाद पृथ्वीराज जी ने बाण छोड़ा और सीधा जाकर मोहम्मद गौरी के सीने में घुस गया और मोहम्मद गौरी उसी समय मृत्यु को प्राप्त हो गया | फिर कहा जाता है कि चंद्रवरदाई ने भी महाराज अपने को आत्मसमर्पण कर लिया !
साथियों यह थे अपने देश के ऐसे वीर योद्धा जिन्होंने इतिहास के पन्नों को पलट दिया | इन वीर योद्धाओं का नाम आज इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में वर्णित है ! लेकिन इनके साथ जो धोखा हुआ उस ठोकर को कितने साल हमारे देश को भुगतना पड़ा | इनके बाद कहते हैं कि मुस्लिम साम्राज्य स्थापित हो गया था | अगर इन महाराज के साथ धोखा नहीं किया होता तो क्या पता हमारा देश आज किस स्थान पर होता | नहीं तो मुस्लिम सताती और नहीं अंग्रेजी शासन लेकिन क्या करें अपनों ने धोखा दिया भारत के अपने गद्दार थे | जो बाहर के गैरों से मिलकर अपनों को साथ धोखा किया |
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