Sunday, December 9, 2018

thakur ka kuan summary in hindi | ठाकुर का कुआ -से उपजी थी पहली रचना -

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स्कूल की पत्रिका में कहानी लिखने के लिए बच्चों से कहा गया। मास्टरजी ने छात्रों से कहा कि जैसे स्कूल के षाट्यक्रम में वम्हानी पढी हो, गांव के दिन और परिस्थितियां याद करके वैसी कहानी लिखो । उसी बवत चित्रा मुदूगल क्रो मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'ठाकुर का कुआं' याद आ . गई, छह साल की उम्र में उन्होंने यह कहानी पढी थी और तब भी बालमन मेँ सबाल उपजे ' थे कि समाज मेँ ऐसा भेदभाव क्यों है? ऐसो ही परिस्थितियां उनके घर पर भी थीं। घर के सामने कुआं था, लेकिन किसी और को वहां से मानी भरने की इजाजत नहीं थी। नीची जाति के लोग कुएं से पानी नहीं भर सकते थे। उन लोगों को वे छू नहीं सकती थीं। घर में सफाई करने ' चाली "डोमिन काको' की टोकरी से एक जार अनाज गिर गया था -और चित्रा अनाज भरने में मदद करने लगीं, तभी दादी ने उनको चांटा मार दिया । 


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परिवार क्री इस मानसिकता ने उन्हें अंदर तक बेचैन का दिया और इस्री से पहली क्खस्वी उपजी 'डोमिन काकी। ‘ जमींदार परिवार में जन्सी चित्रा पर घर की बडो-बडी चार दीवारी के अलावा अनुशासन के नाम पर छुपी हुई दीवारों का गहरा असर पडा। लेखन-नृत्य के अलावा चित्रा चित्रकारी में भी रुचि रखती हैँ। , 74 वर्षीय चित्रा मुदूगल दिल्ली में रहकर लेखन कर रही हैँ । वे तब से साहित्य मेँ सक्रिय हैं, जब स्वी लेखन में स्वी विमर्श उस रूप में नहीँ था, जिसमें आज हम उसे देखते हैं। उस समय स्वी परिबार की लडाई को ही अपनी लडाई समझकर लड़ रही थी, उसे पिता, पति और पुत्र से अलग अपनी दुनिया बसाने, या उसके सपने देखने की आजादी नहीं थी। पर चित्रा ने अपने लिए अपने पारम्परिक परिवार से अलग राह चुनी।

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 उन्होंने मुंबई कीट्रेड यूनियनों के संघर्ष क्रो बहुत क्लीव से देखा और उसमें हिस्सा लिया। इसलिए उनकी कईं रचनाओं में_ घर-परिवार और समाज की पुरातन बनावट उसके ऊपर काबिज पितृसत्ता और उस पर बाजार के दबाब' अपने भयावह रूप में कईं जगहदिखाईदेतेहैँ। 

विवेक मिश्र; कहानीकार और पटकथा लेखक !

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